रांची: भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में अब अगली सुनवाई 28 जून को होगी। मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने अपने वकील के कोरोना पॉजिटिव होने का हवाला देते हुए नई दिल्ली स्थित चुनाव आयोग के समक्ष पेश होने के लिए और अधिक समय मांगा। जिसे आयोग ने आज स्वीकार करते हुए 14 दिनों का समय दिया। लेकिन आयोग की ओर से इस बात यह भी कहा गया है कि अगली तिथि को वे खुद या अपने वकील के माध्यम से पक्ष रखे, अन्यथा उनकी ओर से जो लिखित जवाब सौंपा गया है, उसी के आधार पर फैसला लिया जाएगा।
श्री सोरेन के आग्रह पर इस मामले में भारत निर्वाचन आयोग की ओर से दो बार सुनवाई टाली जा चुकी है।
इससे पहले भी श्री सोरेन को चुनाव आयोग की ओर से पक्ष रखने के लिए दो बार समय दिया गया। पहली हेमंत सोरेन को 10 मई तक जवाब देना था, लेकिन उन्होंने अपनी मां की तबीयत का हवाला देते हुए अतिरिक्त समय की मांग की थी। इसके जिसके बाद 20 मई तक उन्हें जवाब देने का समय मिला, तो सीएम ने जवाब दे दिया और कहा कि उनके पास कोई माइनिंग लीज नहीं है। इसके बाद चुनाव आयोग की ओर से 31 मई को आयोग में पेश होने का आदेश दिया था, जिसके बाद हेमंत सोरेन की ओर से आयोग अतिरिक्त समय की मांग की गयी थी, जिसे आयोग ने मान लिया और आज श्री सोरेन की ओर से फिर से अपने वकील की तबीयत का हवाला देते हुए समय की मांग की गयी, जिसे भी चुनाव आयोग ने स्वीकार कर लिया है और 28 जून को आयोग के समक्ष खुद या अपने वकील के माध्यम से जवाब रखने का आदेश दिया है।
गौरतलब है कि इस पूरे प्रकरण में सबसे पहले भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने प्रेस कांफ्रेंस कर मुख्यमंत्री पर अपने नाम से खनन पट्टा लेने का आरोप लगाते हुए इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला बताते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की गयी थी। बाद में भाजपा नेताओं ने राज्यपाल रमेश बैस से इसकी शिकायत की और राज्यपाल ने इस पर भारत निर्वाचन आयोग से मंतव्य मांगा। जिसके बाद सबसे पहले 3 मई को चुनाव आयोग की ओर से नोटिस जारी कर मुख्यमंत्री से जवाब मांगा गया था।