जामताड़ा : शहर के प्रतिष्ठित सिटी हॉस्पिटल में अफरातफरी का माहौल बन गया जब स्वास्थ्य विभाग की टीम अचानक ही जांच को पहुंची. सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉक्टर डीसी मुंशी और जामताड़ा में आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ के रूप में जाने जाते डॉक्टर दुर्गेश झा के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गुरुवार को सिटी अस्पताल का जांच किया. बताया गया कि  आयुष्मान योजना के तहत ईलाज के दौरान मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किये जाने की शिकायत मिलने पर सिटी हॉस्पिटल का जांच की गई है. इस दौरान जांच टीम को कई तरह की अनियमितता सामने देखने को मिली. इससे स्पष्ट होता है कि इस अस्पताल में मरीज के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

सिटी अस्पताल प्रबंधन की ओर से जांच टीम को सहयोग में कमी दिखाई दी. जांच टीम के द्वारा जिन जिन बिंदुओं पर जांच की गई सभी मानक से काफी कम पाए गए. जांच के क्रम में यहां अव्यवस्था का अंबार दिखाई दिया. ना मरीज के लिए वार्ड में बेहतर व्यवस्था थी ना पैथोलॉजी लैब सही ढंग से कम कर रहा था. आईसीयू की हालत बदतर थी. आईसीयू के बेड मानक के अनुरूप नहीं पाए गए. बेड के बीच के गैप को मेंटेन नहीं रखा गया था और ना जरूरी इंस्ट्रूमेंट वहाँ मौजूद थे. यहां तक की आईसीयू में ड्यूटी करते हुए जिस नर्स को दिखाया गया उसे सही ढंग से बीपी जांच करना भी नहीं आ रहा था. पैथोलॉजी लैब की बात करें तो सीटी अस्पताल के पैथोलॉजी लैब में जितने भी रीएजेंट मिले लगभग सब के सब एक्सपायर थे. 45 बेड के इस अस्पताल में शौचालय की व्यवस्था काफी बदतर पाई गई.

जांच टीम को मिली एक 25 वर्ष की महिला जिसका ऑपरेशन किया गया था. उस महिला का यूट्रस और ओवरी दोनों को निकाल दिया गया था. जबकि जांच टीम के अनुसार उसके कागजात पर किस कारण से हटाया जा रहा है नोट सीट नहीं लिखा हुआ पाया गया और ना ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर का सिग्नेचर पाया गया है. जांच टीम को निरीक्षण के दौरान सीटी अस्पताल में एक गाइनेकोलॉजिस्ट मौजूद होने की जानकारी मिली जिसे जांच टीम के सामने लाया भी गया लेकिन काफी समय देने के बाद भी उक्त चिकित्सक का रजिस्ट्रेशन संबंधित कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया. जो भी एएनएम, जीएनएम काम कर रहे थे उनके डॉक्यूमेंट के संदर्भ में भी कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया. वही प्रबंधन की ओर से बताया गया कि एक एमबीबीएस डॉक्टर भी वहां उपलब्ध है लेकिन जांच टीम के निरीक्षण के दौरान वे सामने नहीं आए.

जांच टीम में शामिल चिकित्सा पदाधिकारी डॉ दुर्गेश झा ने बताया कि ऑपरेशन थिएटर में जो लाइफ सेविंग ड्रग इस्तेमाल किए जाते हैं वह एक्सपायर निकले. इसके अलावा जो इंस्ट्रूमेंट वहां उपलब्ध थे, वह सही ढंग से फंक्शन नहीं कर रहे थे. कई इंस्ट्रूमेंट की वहां कमी भी देखी गई. इसके अलावा आप्थैल्मोलॉजी ओटी में भी कई तरह के खामियां जांच टीम को देखने को मिली. निरीक्षण के क्रम में पाया गया कि लगभग आधा दर्जन से अधिक जो महिलाएं सीजर करवा कर वहां भर्ती थी, वह सदर अस्पताल से लाई गई थी. लेकिन सदर अस्पताल से रेफर संबंधित कोई भी पर्ची सीटी अस्पताल प्रबंधन द्वारा उपलब्ध नहीं कराया जा सका. इसके अलावा एक एंबुलेंस चालक और आधा दर्जन सहिया का नाम भी खुलासा हुआ है जो सदर अस्पताल के मरीजों को सिटी हॉस्पिटल पहुंचाने का काम करती है.

जांच अधिकारी डॉक्टर डीसी मुंशी ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना के तहत एक मरीज के शिकायत पर रांची से इस अस्पताल के जांच का निर्देश प्राप्त हुआ था. जिसके आधार पर मेडिकल टीम जांच करने यहां पहुंची. जहां कई प्रकार की खामियां देखने को मिली है. जिसका पूरा रिपोर्ट तैयार कर रांची भेजा जाएगा. सिटी अस्पताल के संचालक आशीष मिश्रा ने पत्रकारों के पूछे जाने पर बताया कि जांच टीम को डॉक्यूमेंट को लेकर कुछ परेशानी थी लेकिन हमारे यहां जो चिकित्सक थे उन्होंने सही डॉक्यूमेंट तैयार किया था जिससे वह संतुष्ट नहीं थे. हर डॉक्टर का लिखने का अपना तरीका होता है. जो एक्सपायर रीएजेंट मिले हैं, उसका उपयोग नहीं किया जा रहा था. वह साइड करके रखा हुआ था. जांच टीम में डीआरसीएचओ डॉ डीसी मुंशी, डॉ दुर्गेश झा, डॉ सना अंदालिव, डीपीएस डॉ पंकज कुमार, डीपीसी गौरव कुमार, राहुल तिवारी सहित अन्य शामिल थे.

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