रांची : पलामू प्रमंडल की कनहर बराज परियोजना में देरी पर झारखंड हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने बुधवार को पहली पाली में मुख्य सचिव, वित्त सचिव, वन सचिव और जल संसाधन सचिव को तलब किया. चारों अधिकारी दूसरी पाली में सशरीर कोर्ट में हाजिर हुए. कोर्ट ने मुख्य सचिव को कनहर बराज परियोजना पूरा करने को लेकर टाइम फ्रेम प्रस्तुत करने एवं कनहर बाराज के पूरा नहीं होने तक गढ़वा, पलामू के लोगों को लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है. मामले के अगली सुनवाई अगले सप्ताह होगी.
2020 में सरकार ने 5 साल में परियोजना पूरा करने का टाइमलाइन दिया था
पलामू एवं गढ़वा में सिंचाई के लिए प्रस्तावित कनहर बराज परियोजना में देरी पर झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर कड़ी नाराजगी की जताई है. कोर्ट ने प्रथम पाली में मामले में मुख्य सचिव, जल संसाधन सचिव, वन सचिव और वित्त सचिव को कोर्ट में तलब किया. इसके बाद यह ये सभी अधिकारी कोर्ट में द्वितीय पाली में सशरीर उपस्थित हुए. कोर्ट ने उनसे मौखिक कहा कि वर्ष 2020 में राज्य सरकार ने 5 साल में इस परियोजना को पूरी होने का टाइमलाइन दिया था, लेकिन काम आगे नहीं बढ़ा है.
कोर्ट ने सरकार का शपथपत्र नहीं किया स्वीकार
इससे पहले राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर कनहर बराज परियोजना को पूरा करने को लेकर 8 साल का समय मांगा गया, कोर्ट ने शपथ पत्र स्वीकार नहीं किया और कहा कि राज्य सरकार की ओर से बार-बार शपथ पत्र दाखिल किया जा रहा है, लेकिन अब तक पर कनहर बराज परियोजना को लेकर कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है. 2009 से कनहर परियोजना को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई 2024 तक चल रही है, लेकिन राज्य सरकार कनहर बराज परियोजना को लेकर उदासीन बनी हुई है.
सरकार ने कहा जमीन विवाद के कारण अटका है पेंच
सरकार द्वारा 2020 में इस परियोजना को 5 साल में पूरा करने का दावा किया गया था, लेकिन यह दावा पूरा नहीं हुआ, जो इस बात का संकेत करता है कि राज्य सरकार कैसा काम कर रही है. सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने सरकार की ओर से पक्ष रखा. उनकी ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार कनहर परियोजना को जल्द पूरा करना चाहती है, लेकिन इसमें छत्तीसगढ़ के साथ कुछ जमीन विवाद भी है. सरकार सभी आपत्तियों को जल्द दूर कर इस परियोजना को टाइम फ्रेम बनाकर जल्द पूरा कर लेगी.