भाजपा को 50 सीटों पर बढ़त तो 34 सीटों पर आगे चल रहा कांग्रेस गठबंधन

चंडीगढ़ : विधानसभा चुनावों की काउंटिंग के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने स्पष्ट मेजॉरिटी हासिल करने की ओर तेजी से कदम बढ़ाए हैं, जबकि पूर्व में किए गए एग्जिट पोल में कांग्रेस को भारी जीत का अनुमान लगाया गया था. पौने 12 बजे तक बीजेपी को 50 सीटों पर बढ़त मिल चुकी थी, जबकि कांग्रेस गठबंधन केवल 34 सीटों पर था. इस प्रकार, बीजेपी की लगातार तीसरी बार सत्ता में आने की संभावना बढ़ रही है. आइए जानते हैं इस सफलता के पीछे की प्रमुख रणनीतियों के बारे में:

  1. एंटी जाट वोटों का ध्रुवीकरण
    हरियाणा में जाट समुदाय का वोट पारंपरिक रूप से कांग्रेस और इनेलो को जाता रहा है. बीजेपी ने एंटी जाट वोटों के ध्रुवीकरण की रणनीति अपनाई, जिसमें पंजाबी हिंदू, ओबीसी, और ब्राह्मणों पर जोर दिया गया. केंद्रीय मंत्रिमंडल में किसी जाट का समावेश न करना और ओबीसी को मुख्यमंत्री बनाना इस रणनीति का हिस्सा था.
  2. किसानों और पहलवानों के आंदोलन को निष्प्रभावी करना
    बीजेपी ने किसानों और महिला पहलवानों के आंदोलनों को बढ़ने दिया, जिससे आम जनता में असंतोष फैल गया. बीजेपी ने इस दौरान कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे अन्य वर्गों को लगा कि ये आंदोलन सत्ता में आने पर अधिक उत्पात ला सकते हैं.
  3. नायब सैनी का मुख्यमंत्री बनना
    अंतिम क्षणों में नायब सैनी को सीएम बनाना भी लाभदायक साबित हुआ. सैनी का शांत व्यक्तित्व और ओबीसी अधिकारों के लिए उनकी पहल ने स्थानीय स्तर पर सकारात्मक प्रभाव डाला.
  4. दलित वोटों को साधना
    बीजेपी ने दलित समुदाय के वोटों को आकर्षित करने के लिए मिर्चपुर और गोहाना कांड जैसे मुद्दों को उठाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी रैलियों में इन घटनाओं का जिक्र किया, जिससे दलित समुदाय में विश्वास बढ़ा.
  5. स्मार्ट पॉलिटिकल मैनेजमेंट
    बीजेपी ने चुनाव के दौरान हर कदम फूंक-फूंक कर रखा. मनोहर लाल खट्टर की नाराजगी को भांपते हुए उन्हें कुछ समय के लिए साइडलाइन किया गया. पार्टी के भीतर असंतोष के बावजूद, सैनी ने व्यक्तिगत रूप से नेताओं से संवाद किया, जिससे पार्टी की एकता बनी रही.

इस प्रकार, बीजेपी ने चुपचाप अपनी रणनीतियों को लागू करते हुए हरियाणा में ऐतिहासिक विजय की ओर कदम बढ़ाया है.

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