Joharlive Desk
नई दिल्ली । गायिका हर्षदीप कौर का कहना है कि सूफी संगीत में एक अजीब सा जादू है। इसमें एक दूर की दुनिया की बात की जाती है और इसके बोल दिलों को छू लेती है और सबसे जरूरी बात यह है कि इसमें दर्द से उबरने की ताकत है।
कौर ने हिंदी, पंजाबी, तेलुगू, तमिल, बंगाली और गुजराती जैसे कई भारतीय भाषाओं में गीत गाए हैं। दो रिएलिटी शोज में खुद को साबित करने के बाद कौर ने महज 16 साल की उम्र में ‘सजना मैं हारी’ गीत के साथ अपना डेब्यू किया। उस दौर को याद करती हुई वह कहती हैं, “स्कूल में उस वक्त रहते हुए अपने किसी फिल्मी गीत के रिलीज होने का अनुभव ही रोमांचक था। मैं बहुत खुश थी।”
रिएलिटी शो में जीत हासिल करने के बाद बहुत कम ही कलाकार ऐसे होते हैं जो इंडस्ट्री में खुद को अच्छी तरह से स्थापित कर पाने में कामयाब होते हैं। ज्यादातर विजेता इंडस्ट्री में सफल नहीं हो पाते हैं इस बात को कौर भी स्वीकार करती हैं। उनका भी यही मानना है कि ऐसे शोज से तुरंत लोकप्रियता तो मिल जाती है, लेकिन असली सफर की शुरूआत इसके बाद ही होती है।
वह कहती हैं, “उस सफलता को बनाए रखना, बेहतर संगीत पर अपने काम को जारी रखना और अच्छे गाने गाना बहुत जरूरी है। रिएलिटी शो में जीतने का मतलब यह नहीं है कि आपकी मेहनत और आपका संघर्ष खत्म हो गया है। अपने रास्ते आने वाले हर मौके का फायदा उठाना ही मायने रखता है।”
कौर फिलहाल फिल्मी गीतों के अलावा अपने स्वतंत्र गीत और नए गीतों को बनाने में व्यस्त हैं। वह कहती हैं, “मैं कुछ नए गानों को कम्पोज कर रही हूं और खुद को रिकॉर्ड कैसे करते हैं यह भी सीख रही हूं और हां, अपने बैंड के साथ मिलकर डिजिटल कॉन्सर्ट भी कर रही हूं।”