भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को सुहागिनों द्वारा हरितालिका तीज का सुख-सौभाग्यदायिनी व्रत किया जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने सुख सौभाग्य की रक्षा के साथ मनोरथ सिद्धि हेतु करती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को सर्वप्रथम पर्वतराज हिमवान की पुत्री माता पार्वती ने भगवान भोले शंकर को पति रूप में प्राप्ति के लिए किया था, जिससे उनका मनोरथ सिद्घ हुआ।
उसके बाद से ही अखंड सौभाग्य एवं मनोरथ सिद्धि हेतु यह व्रत सुहागिन स्त्रियों द्वारा किया जाने लगा। ज्योतिषाचार्य पं. रमा शंकर तिवारी बताते हैं कि इस व्रत में मुख्यरूप से भगवान शिव एवं माता पार्वती का पूजन विधि-विधान के साथ करके हरितालिका तीज की पुण्य प्रदायिनी कथा का श्रवण किया जाता है। हस्तयुक्त तृतीया उत्तम फलदायिनी मानी गयी है।
इस साल हरतालिका तीज पर 14 वर्ष बाद रवियोग का शुभ संयोग बन रहा है। इस अद्भुत योग में व्रत और पूजन से सुहागिन महिलाओं की सभी मनोकामना पूरी होंगी। जमशेदपुर में इस पर्व का जबरदस्त उत्साह दिख रहा है। कोरोना के बावजूद बाजार में भीड़ नजर आ रही है।
इस बार आठ सितंबर बुधवार को रात्रि शेष 3.58 बजे के उपरांत तृतीया तिथि प्रारंभ होगी, जो गुरुवार नौ सितंबर को रात्रि 2.12 बजे तक रहेगी। हस्त नक्षत्र बुधवार को संध्या 6.04 बजे से गुरुवार नौ सितंबर को सायं 5.13 बजे तक ही रहेगी। इस प्रकार इसबार हस्त युक्त तृतीया तिथि का उत्तम संयोग बन रहा है। इस बार तीज में गुरुवार शुक्ल योग का उत्तम संयोग मिल रहा है। उपरोक्त योग संयोग के कारण हरितालिका तीज विशेष पुण्यप्रदायक व मनोरथ सिद्धिप्रद है। अत: गुरुवार नौ सितंबर को हरितालिका तीज का व्रत व पूजन करना उत्तम फलप्रद रहेगा। तीज व्रत के लिए नहाय-खाय बुधवार आठ सितंबर को किया जाएगा। व्रत का पारण शुक्रवार 10 सितंबर को सूर्योदय के उपरांत करना श्रेयस्कर रहेगा।