रांची: राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में व्यवस्था सुधारने के दावे किए जाते है. मंत्री से लेकर डायरेक्टर, अधिकारी हॉस्पिटल की उपलब्धियां गिनाते है. लेकिन रिम्स आए दिन विवादों में बना रहता है. कभी मरीजों को दवा नहीं मिलती तो कभी मरीजों को इलाज के लिए बेड नहीं मिल पाता. कभी मरीजों का टेस्ट नहीं हो पाता तो कभी दलाल मरीज को ठग ले रहे है. लेकिन हॉस्पिटल की बदइंतजामी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 450 करोड़ रुपए सालाना बजट वाले हॉस्पिटल प्रबंधन के पास छत रिपेयरिंग कराने के पैसे नहीं है. यहीं वजह है कि लगातार हो रही बारिश की वजह से हॉस्पिटल के कई वार्डों में पानी टपक रहा है. जिससे इलाज के लिए आए बच्चों के साथ परिजनों की परेशानी बढ़ गई है.
नियोनैटोलॉजी में टपक रहा पानी
नवजात बच्चों के वार्ड में भी स्थिति बदहाल है. लगातार छत से पानी टपक रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को लेकर रहने वाले परिजनों को हो रही है. बच्चे को तो वार्ड में एडमिट कर लिया गया है. लेकिन परिजन बाहर भीग रहे है. वह भी छत के नीचे. इससे समझा जा सकता है कि कैसे रिम्स में व्यवस्था सुधारने के नाम पर केवल आईवॉश किया जा रहा है.
न्यूरो में भर्ती मरीजों को आफत
हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजी वार्ड तो पहले से ही ओवरलोड है. गैलरी में मैट्रेस बिछाकर मरीजों का इलाज किया जा रहा है. बारिश से मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. हालांकि प्रबंधन ने वहां पर पर्दे लगाए है. लेकिन बारिश के आगे वे भी बेबस नजर आ रहे है. परिजन कभी यहां तो कभी वहां बेड लगाकर मरीजों को ले जा रहे है. इससे मरीजों का दर्द और बढ़ जा रहा है. वहीं नए मरीजों को तो बारिश के बीच ही इलाज कराना पड़ रहा है.
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