इलाहाबाद : ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को पड़ा झटका लगा है. अदालत ने ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष के पूजा करने के अधिकार को बरकरार रखा है. यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से दाखिल अपील पर सुनाया है. इससे पहले कोर्ट ने दोनों पक्षों की लंबी बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था. बता दें कि पूजा बहाल करने का आदेश वाराणसी जिला अदालत ने दिया था, जिसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष हाई कोर्ट पहुंचा था.
Allahabad High Court dismisses plea challenging order permitting Hindu parties to offer puja in the ‘vyas tehkhana’ of Gyanvapi complex. pic.twitter.com/DbkADHQAIC
— ANI (@ANI) February 26, 2024
मामले में जिला जज वाराणसी ने 17 जनवरी को डीएम को रिसीवर नियुक्त कर 31 जनवरी को तहखाने में पूजा करने का आदेश पारित किया था. इंतेजामिया कमेटी ने उसे हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी.
पूजा पर स्टे चाहता था मुस्लिम पक्ष
हाईकोर्ट ने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद पहले ही फैसला सुरक्षित रख लिया था. अंजुमन इंतजामिया कमेटी की तरफ से वाराणसी कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पूजा पर स्टे लगाने की बात कही गई थी.
मुस्लिम पक्ष ने अदालत से की यह मांग
मुस्लिम पक्ष का दावा था कि डीएम को वाराणसी कोर्ट ने रिसीवर नियुक्त किया है, जो पहले से काशी विश्वनाथ मंदिर के सदस्य हैं. इसलिए उनको नियुक्त नहीं किया जा सकता है. मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा है कि दस्तावेज में किसी तहखाने का जिक्र नहीं है. मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा था कि व्यासजी ने पहले ही पूजा का अधिकार ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दिया था. उन्हें अर्जी दाखिल करने का अधिकार नहीं है.
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