- गुमला के बाद देवघर पहुंचे और वहां बाबा वैद्यनाथ धाम मंदिर में पूजा-अर्चना की
Joharlive Team
रांची। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शनिवार को गुमला के बिशुनपुर में आयोजित विकास भारती के कार्यक्रम में कहा कि डिग्री हासिल कर लेना वाला व्यक्ति पूरी तरह से शिक्षित नहीं होते हैं, शिक्षित वो होता है जो अच्छा इंसान होता है। अच्छा इंसान बनना शिक्षा की कसौटी है। उन्होंने कहा कि सभी समुदायों में से किसी के पास संसाधन सीमित है, किसी के पास कम है और किसी के पास बिलकुल नहीं है। लेकिन शिक्षा एक ऐसा संसाधन है जो सबके पास है। हम अपने बच्चों को अधिक से अधिक और भरपूर शिक्षा दें।
इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पद्मश्री अशोक भगत के विकास भारती में संचालित योजनाओं के बारे में जाना। फिर आदिवासी ट्राइबल सेंटर स्थित ज्ञान निकेतन में अनाथ आदिम जाति व जनजाति के बच्चों से मुलाकात की। इसके बाद राष्ट्रपति देवघर पहुंचे और वहां बाबा वैद्यनाथ धाम मंदिर में पूजा-अर्चना की। शाम को राष्ट्रपति रांची आएंगे। राजभवन में रात्रि विश्राम के बाद वे एक मार्च की सुबह 10 बजे रायपुर के लिए रवाना हो जाएंगे।
राष्ट्रपति ने विशुनपुरप में कहा कि पिछले 4 वर्षों से मैं यहां आना चाह रहा था। लेकिन मौसम प्रतिकूल होने से और समय नहीं मिलने से यहां नहीं आ पाया। मैं ठेठ आदिवासियों से मिलना चाहता हूं। उनकी दशा देखना चाहता हूं। अशोक भगत संपन्न घर के हैं। लेकिन सेवा के लिए घर का त्याग कर दिए हैं। विशुनपुर त्याग बलिदान सम्मान और सेवा की भूमि है। सम्मान और सेवा की भूमि है। शिक्षा से ज्ञान को बढ़ावा मिलना चाहिए, जिससे आदर्श नागरिक बनाया जा सके। सेवा के भाव के कारण अशोक भगत को पद्मश्री पुरस्कार मिला है। इन्होंने अपने जीवन में आदिवासियों के बीच रमना पसंद किया है। रच बस गए हैं।
उन्होंने कहा कि अगर हम किसी को शिक्षा का ज्ञान और दान नहीं दे सकते हैं तो उसके लिए हम शिक्षा का प्रेरणास्वरूप जरुर बनें। आप अपने बच्चों को पढ़ाइए और अच्छा आचरण दीजिए।
उन्होंने कहा कि त्याग बलिदान संघर्ष स्वाभिमान मानव श्रेणी के उच्चतर गुण हैं। ये सभी गुण अशोक भगत में भी देखे जा सकते हैं। जतरा टाना भगत और फूलों जानू ने भी इन गुणों के बदौलत मानव श्रेणी के उच्चतम स्तर को हासिल किया था, वे सभी शहीद हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं जिनसे हम सीख सकते हैं। हमें उनसे सीखना चाहिए। उन्होंने वर्तमान समाज का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें सीखने की कोशिश करनी चाहिए जो सीखना नहीं चाहते हैं, उन्हें सिखाया भी नहीं जा सकता।
राष्ट्रपति ने कहा कि जब मैं बिहार का राज्यपाल था तब रांची तक आया था। उस वक्त भी अशोक भगत से मुलाकात हुई थी। बिशुनपुर के बारे में मैंने बहुत कुछ सुना था। उस वक्त मैंने कहा था कि अगली बार जब मैं आऊंगा तो बिशुनपुर जाउंगा। लेकिन ऐसा संयोग बना कि 2016 के बाद 2017 में मैं बिहार से दिल्ली पहुंच गया। 2018 में मैं फिर रांची आया। यहां अशोक भगत से मुलाकात हुई तो मैंने उनसे कहा कि मेरा बिशुनपुर का कार्यक्रम अधूरा है। मैं चलना चाहता हूं। तब अशोक भगत ने कहा कि जब भी आप बताएंगे, मैं चलूंगा। 2019 में राष्ट्रपति होने के नाते प्रत्येक प्रदेश में अधिक से अधिक तीन बार जाना होता है। व्यवहारिक दिक्कतें हैं। वैसे भी 30 प्रदेश हैं, छह केंद्र शासित प्रदेश हैं, जाना है तो सभी में जाना है, सभी अपने हैं। इसलिए मैंने फिर से 2019 में कार्यक्रम बनाया कि मैं बिशुनपुर जाउंगा। आपको पता है कि जब मैं रांची आया, कार्यक्रम भी बन चुका था लेकिन बारिश के चलते कार्यक्रम रद हो गया। मुझे दो दिन तक रांची में रूककर प्रतीक्षा करनी पड़ी। 2016 से जिसके लिए मैं प्रतीक्षा कर रहा था, वो आज पूरी हुई, इसकी मुझे खुशी है।