रांचीः बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में लैंडस्केप प्रबंधन विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया है. सेमिनार का उद्घाटन राज्यपाल रमेश बैस ने किया. उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि आज पृथ्वी लगातार गर्म होती जा रही है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से फसलों का उत्पादन कम हो रहा है. शुष्क क्षेत्रों में कृषि प्रभावित होने का खतरा बढ़ता है.

जलवायु परिवर्तन पर यूएन जलवायु रिपोर्ट बताती है कि साल 2019 दूसरा सबसे गर्म वर्ष था. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर बांग्लादेश के बाद भारत दूसरा सबसे अधिक प्रभावित देश है. कई राज्यों में हर साल बाढ़ आपदा के रूप में तबाही मचाती है. उन्होंने कहा कि आज देश में बाढ़ विनाशकारी साबित हो रही है. मिट्टी के क्षरण से उसकी गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है. इसलिए इस दिशा में बेहतर कार्य किये जाने की जरूरत है. राज्यपाल ने कहा कि छोटी बड़ी नदियों, सहायक नदियों के दोनों ओर बांध बनाने, वृक्षारोपण से बाढ़ के प्रभाव को कम किया जा सकता है.

झारखंड के साहिबगंज जिले को सर्वाधिक बाढ़ से प्रभावित होने वाला जिला बताते हुए डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि वनों में आग लगने, वनों के घनत्व में कमी और बारिश से मृदा अपरदन होता है. राज्य में करीब 1400 एमएम बारिश होती है, जो मेघालय और असम के बाद सबसे ज्यादा है. इस स्थिति में हमें सर्वोत्तम जल प्रबंधन करना होगा. नियमित बारिश और भारी बारिश से कई बार नुकसान होता है. यह सम्मलेन प्रभावी समाधान निकालने में मददगार साहिब होगा.

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