Joharlive Desk

नयी दिल्ली । खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण के लिए सरकार दो लाख सूक्ष्म इकाइयों को वित्तीय मदद प्रदान करेगी ताकि वे अपना कारोबार बढ़ा सकें और बड़े ब्रांड के रूप में खुद को स्थापित कर सकें।

खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने आज एक ऑनलाइन कार्यक्रम में 10 हजार करोड़ रुपये की ‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारीकरण योजना’ की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि देश में 25 लाख से अधिक सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ हैं। इनमें 80 प्रतिशत तो पारिवारिक उद्यम के रूप में चल रही हैं जिनमें परिवार के सदस्य मिलकर चटनी, अचार, पापड़, बरी जैसी चीजें बनाकर बेचते हैं। योजना के तहत इन इकाइयों को वित्त उपलब्ध कराकर उन्हें ‘लोकल ब्रांड के साथ ग्लोबल’ बनाने में मदद की जायेगी।

श्रीमती कौर ने बताया कि हर इकाई को उनकी परियोजना लागत के 35 प्रतिशत तक की मदद उपलब्ध कराई जायेगी। अधिकतम 10 लाख रुपये की मदद दी जायेगी। इसमें 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार देगी। पर्वतीय तथा पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देगी। स्वयं सहायता समूहों को अधिकतम 40 हजार रुपये प्रति सदस्य के हिसाब से मदद उपलब्ध कराई जायेगी। उन्हें उत्पादों के मूल्यवर्द्धन, पैकेजिंग बेहतर बनाने, लाइसेंस हासिल करने, मशीन लगाने, बैंक ऋण लेने और उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराने में भी मदद की जायेगी।

मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ‘एक जिला, एक उत्पाद’ की नीति पर योजना को आगे बढ़ाना चाहेगी, हालाँकि राज्य चाहें तो एक ही उत्पाद पर एक से अधिक जिलों में भी फोकस कर सकते हैं। जिले के महत्त्वपूर्ण उत्पाद की पहचान कर लेने के बाद उस जिले में उस उत्पाद का क्लस्टर तैयार किया जायेगा।

श्रीमती बादल ने बताया कि इस योजना से सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 35 हजार करोड़ रुपये के निवेश का रास्ता तैयार होगा और नौ लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। यह योजना किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी मददगार साबित होगी।

खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने कहा कि योजना के तहत अनुसूचित जाति/जनजाति, महिलाओं, स्वयं सहायता समूहों और आकांक्षी जिलों पर फोकस किया जायेगा। इससे किसानों और लघु उद्यमों को सीधा फायदा होगा।

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