Joharlive Desk
नई दिल्ली। पिछले वर्ष कोरोना वायरस महामारी के चलते देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ी। 16 जनवरी को देश में कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई। ऐसे में सरकार का खर्च भी काफी प्रभावित हुआ और यह अनुमान लगाया जा रहा था कि महामारी से निपटने में हुए अतिरिक्त खर्च की भरपाई के लिए मोदी सरकार कोविड सेस लगाने की संभावना पर विचार कर रही है।
लेकिन अब केंद्र सरकार की ओर से आम आदमी को बड़ी राहत मिली है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार ने कहा है आम आदमी पर कोई भी नया कर नहीं लगाया जाएगा। यानी अमीरों पर जो कोविड सेस लगाने की मांग उठी थी, वह नहीं लगाया जाएगा। एक फरवरी 2021 को पेश हुआ बजट में भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की।
दरअसल, सरकार चाहती है कि संकट के इस समय में लोगों को पैसों की दिक्कत न हो। कोविड सेस लगाने से लोगों के हाथों में आने वाला पैसा कुछ कम हो जाएगा और ऐसे में लोग खर्चे कम कर देंगे। इसलिए सरकार ने नया कर न वसूलने का फैसला लिया। मौजूदा स्थितियों से उबरने के लिए यह जरूरी है कि अधिक मांग पैदा हो, ताकि लोग तेजी से पैसे खर्च करें और अर्थव्यवस्था में करंसी सर्कुलेट हो।
लॉकडाउन के दौरान टैक्स अधिकारियों ने सुझाव दिया था कि टैक्स डेफिसिट की भरपाई के लिए सरकार आय पर सेस या सरचार्ज लगा सकती है। मालूम हो कि सरकार ने नुकसान की भरपाई के लिए पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी। इसके साथ ही राज्यों ने भी शराब पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी थी। आर्थिक गतिविधि को पटरी पर लाने के लिए सरकार का एक वर्ग और टैक्स कंसल्टेंट वैक्सीन के नाम पर टैक्स लगाने के पक्ष में थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, एक जानीमानी फर्म के एक कंसल्टेंट ने कहा था कि आय पर एक से दो फीसदी सेस से कोई असर नहीं पड़ेगा। पहले भी सरकार हेल्थ सेस लगा चुकी है।