रांची। कांग्रेस कार्यसमिति के स्थायी आमंत्रित सदस्य और जमशेदपुर के पूर्व सांसद, आईपीएस डॉ अजय कुमार ने झारखंड के मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कहा कि सरकारी नौकरियों के लिए आयोजित परीक्षाओं में शामिल होने वाले उम्मीदवारों की अनिवार्य भाषाओं की सूची से हिंदी को हटाने से झारखंड में विवाद छिड़ गया है। इस तथ्य के बावजूद कि हिंदी राज्य सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में भी शिक्षा और शिक्षण का मुख्य माध्यम है, हिंदी को मूल भाषाओं से बाहर रखा गया है। ये उन हिंदी भाषी स्थानीय लोगों के साथ अन्याय होगा जो लंबे समय से झारखंड में रह रहे हैं।

डॉ अजय ने कहा हम समझते हैं कि झारखंड के स्थानीय निवासी को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, और हम इस फैसले का समर्थन करते हैं लेकिन हिंदी को सामान्य भाषा के श्रेणी में शामिल नहीं करने से स्थिति नहीं सुलझेंगी बल्कि और खराब हो जाएगी। अपने राज्य के नागरिकों को नौकरी पाने के अधिकारों की रक्षा के लिए, हम आरक्षण को लागू कर सकते हैं, जहां केवल झारखंड के स्थानीय निवासी ही स्थानीय सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन कर सकेंगे।

डॉ अजय ने कहा उन्होंने अपने पिछले पत्रों में सरकार से झारखंड क्षेत्रीय भाषा की सूची में भोजपुरी, मैथिली, मगही और अंगिका को शामिल करने पर विचार करने का अनुरोध किया था और कहा कि इन भाषाओं की देवनागरी लिपि भी ‘हिंदी’ है।

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