रांची: झारखंड सरकार के सभी विभाग राज्य में मादक पदार्थों के उत्पादन और सेवन को रोकने को तत्पर हैं. इसे लेकर एक ओरिएंटेशन प्रोग्राम किया गया. जिसमें संबंधित विभाग ने मादक पदार्थों के सेवन को रोकने के लिए अपनी कार्ययोजना की जानकारी दी. राज्य के मुख्य सचिव एल खियांग्ते ने प्रोजेक्ट भवन सभागार में मादक पदार्थों के खिलाफ अभियान के लिए आयोजित कार्यक्रम में कहा कि मादक पदार्थों का उत्पादन और सेवन एक कलंक है. हमें इस कलंक को मिटाना होगा. स्कूल और कॉलेजों पर ध्यान देने की जरूरत है. समाज के हर व्यक्ति को भी इसकी रोकथाम की दिशा में अहम भूमिका निभानी होगी.
प्रभावी कदम उठाने की जरूरत
गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल ने कहा कि अफीम उत्पादन को लेकर झारखंड हमेशा सवालों के घेरे में रहा है. इसके उत्पादन और सेवन में बढ़ोतरी देखी गई है. कई बार उच्च न्यायालय ने संज्ञान लेकर कार्रवाई का निर्देश दिया है. झारखंड पुलिस के अनुसार पिछले पांच वर्षों में करीब 2,024 मामले सामने आए हैं, जबकि उक्त मामलों में करीब 4,949 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के माध्यम से कार्रवाई की जा रही है. चतरा, पलामू, लातेहार और रांची में अफीम का उत्पादन और खपत सबसे अधिक दर्ज की गई है. इस समस्या के समाधान के लिए दीर्घकालिक योजनाएं तैयार की गई हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती सभी स्कूलों और कॉलेजों को नशा मुक्त क्षेत्र बनाना है. वहीं, समाज कल्याण विभाग को पुनर्वास के लिए काम करना है और परामर्श केंद्र बनाने की जरूरत है.
रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे
राज्य के डीजीपी अजय कुमार सिंह ने कहा कि झारखंड के कुछ जिलों में बड़े पैमाने पर अफीम उत्पादन की सूचनाएं मिलती रहती हैं. उन जिलों में अफीम उत्पादन को रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. इस दिशा में एनसीबी और अपराध अनुसंधान विभाग मिलकर काम कर रहे हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार ने कहा कि राज्य में नशाखोरी को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग गंभीर है. सभी विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर इस दिशा में कार्य किया जाएगा. उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव राहुल पुरवार ने कहा कि विद्यार्थियों में नशे के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए कार्य किया जा रहा है. शिक्षण संस्थानों के आसपास जागरूकता के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव मनोज कुमार ने कहा कि नशीली दवाओं की उपलब्धता और जागरूकता की कमी के कारण स्कूल-कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चों में नशे की लत के मामले देखने को मिल रहे हैं. इस दिशा में जागरूकता कार्यक्रम चलाने की जरूरत है. इसलिए 19 जून से 26 जून तक विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे तथा 26 जून को विश्व नशा निषेध दिवस पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
राज्य और जिला स्तर पर कमिटी गठित
महिला एवं बाल विकास तथा सामाजिक सुरक्षा विभाग के सचिव मनोज कुमार ने कहा कि इसकी रोकथाम के लिए विभिन्न कार्यक्रम तैयार हैं. जिला स्तर पर एनसीओआरडी समिति तथा राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है. एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया गया है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर अभिषेक आनंद ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की कार्यप्रणाली पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम में विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार व्यक्त किए तथा नशे की रोकथाम के लिए नागरिक समाज संगठन की आवश्यकता को भी महत्वपूर्ण बताया. कार्यक्रम में डीजी सीआईडी अनुराग गुप्ता, पुलिस विभाग के कई अधिकारी, विभिन्न विभागों के कई अधिकारी, कई स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि तथा कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.