नई दिल्ली : नव वर्ष में 47 IAS अधिकारी को प्रमोशन मिलने जा रहा है. सरकार ने इसको लेकर सारी प्रक्रिया पूरी कर ली है. इस सूची में वर्ष 2000 बैच की IAS मंजू राजपाल का नाम भी शामिल है.
विदित हो कि IAS मंजू राजपाल के विरुद्ध गौतम बुद्ध नगर (उत्तर प्रदेश) की एक अदालत में आपराधिक मामला लंबित है, जिसमें अदालत द्वारा राजपाल के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 384 (जबरन वसूली), 420 (छल एवं बेईमानी), 467, 468 एवं 471 (छल एवं मौद्रिक लाभ के लिए जाली दस्तावेज की कूटरचना) जैसी संगीन धाराओं के तहत संज्ञान लेते हुए उन्हें न केवल प्रथम दृष्टया आरोपी मानते हुए लगभग दो वर्ष पूर्व जनवरी 2022 में अदालत में उपस्थित होने के लिए आदेशित किया जा चुका है, बल्कि इस आदेश का मंजू राजपाल द्वारा उल्लंघन किए जाने पर उन्हें अदालत में उपस्थित कराने के लिए जमानतीय गिरफ़्तारी वारंट भी अदालत द्वारा जारी किया गया है.
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार मंजू राजपाल द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इस मामले को चुनौती दी गई है, जिसके उपरांत ऊपरी अदालत द्वारा राजपाल को फ़ौरी तौर पर राहत देते हुए उनकी गिरफ़्तारी पर अस्थाई रूप से रोक लगा रखी है.
ऐसी स्थिति में प्रमोशन पाने वालों की सूची में IAS मंजू राजपाल का नाम होना अत्यंत आश्चर्यजनक है, जबकि भारत सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा 28 मार्च 2000 को सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को जारी आदेश के अनुसार अखिल भारतीय सेवा के ऐसे अधिकारियों, जिनके विरुद्ध आपराधिक मामले लम्बित हैं, की प्रोन्नति से सम्बंधित अनुशंसा को सीलबंद लिफ़ाफ़े में जब तक रखा जाएगा जब तक कि सम्बंधित आधिकारी के विरुद्ध मामला लम्बित रहता है. भारत सरकार के उक्त आदेश से साफ़ है कि आपराधिक मामला लम्बित होने की दशा में IAS मंजू राजपाल को प्रमोशन का तोहफ़ा नहीं दिया जा सकता.
राज्य कार्मिक विभाग के सूत्रों द्वारा दबे शब्दों में यह भी बताया गया है कि IAS मंजू राजपाल से सम्बंधित उक्त मामले के बारे में भारत सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा गत सितम्बर माह में ही मुख्य सचिव, जो कि विभागीय प्रोन्नति समिति के अध्यक्ष भी हैं, को औपचारिक रूप से अवगत कराते हुए उचित कार्यवाही करने हेतु अनुरोध किया है, किंतु इस मामले में राजस्थान सरकार के सभी सम्बंधित विभागों ने चुप्पी साध रखी है.
मामला राज्य की एक वरिष्ठ एवं रसूखदार महिला IAS से जुड़ा होने के कारण कोई भी इस मामले में मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन यह देखना वाक़ई दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार द्वारा इस मामले में नियमों की अनदेखी करते हुए IAS मंजू राजपाल को नव वर्ष के अवसर पर उनके विरुद्ध देश की एक अदालत में गंभीर धाराओं में आपराधिक मामला लंबित होते हुए भी प्रमोशन का तोहफ़ा दिया जाता है अथवा नहीं.
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