बेरमो: देश के पहले राष्ट्रपति, डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती पर आज हम याद करते हैं उनके ऐतिहासिक योगदान को, विशेष रूप से गोमिया में खोले गए एशिया के पहले बारूद कारखाने को, जिसे उन्होंने 5 जनवरी 1958 को समर्पित किया था. यह कारखाना उस समय एक महत्वपूर्ण कदम था, और आज भी इसकी अहमियत बरकरार है.
गोमिया स्थित इस बारूद कारखाने का उद्घाटन डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने विशेष सैलून से धनबाद से गोमिया तक यात्रा करते हुए किया था. उद्घाटन के बाद उन्होंने मजदूरों को संबोधित किया और उन्हें इस प्लांट की सफलता में सहयोग की अपील की. उन्होंने कहा था, “यह देश आपका है, और जब देश में उद्योगों का विस्तार होगा, तो रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.”
गोमिया में स्थित इस बारूद कारखाने को शुरुआत में आईसीआई (इम्पेरियल कैमिकल इंडस्ट्रीज) कंपनी ने चलाया था. बाद में 1990 के दशक में ऑस्ट्रेलिया की कंपनी ओरिका ने इसे अपने अधीन ले लिया और इसका नाम आईईएल ओरिका रखा. अब भी इस कारखाने में बरूद के साथ-साथ नाइट्रिक एसिड, अमोनिया और नाइट्रो फ्लोराइड का उत्पादन होता है.
यह कारखाना कोल इंडिया के कोल खदानों में ब्लास्टिंग के लिए बारूद की आपूर्ति करता है, जो देश और विदेश में भी उपयोग होता है. इसकी आपूर्ति केवल भारत ही नहीं, बल्कि कई अन्य देशों जैसे अरव कंट्री, चीन, भूटान, इंडोनेशिया, और म्यांमार तक होती है.
यहां बनने वाले उत्पादों की सप्लाई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की जाती है, जिससे गोमिया का कारखाना देश की औद्योगिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. एक समय था जब इस कारखाने के लिए लगभग 1200 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था.
आज भी गोमिया का बारूद कारखाना संचालन में है और कोयला खदानों के लिए इसका उत्पाद महत्वपूर्ण है. हालांकि समय के साथ इसकी स्वामित्व संरचना में बदलाव आया है,