देवघर: कार्तिक शुक्ल पक्ष ज्ञान पंचमी पर सैकड़ों सालों से देवनगरी में मां सरस्वती की प्रतिमा बना कर पूजा-अर्चना की जाती है. इसी कड़ी में शिवगंगा तट स्थित फूलचांद कीर्तन बैठकी में जरनेल समाज की ओर से मां सरस्वती की प्रतिमा बनाकर पूजा की गई. यह पूजा 125 सालों से होती आ रही है. जरनेल समाज प्रेमनाथ पांडेय ने बताया कि यह सरस्वती पूजा इसलिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि बेलपत्र, फूल, जल, फल से प्रतिदिन 1008 नामों से आहुति दी जाती है. साथ ही पांच दिनों तक 24 घंटे अखंड दीप भी प्रज्वलित होते रहती है. 10 नवंबर को का प्रतिमा का विसर्जन होगा. आयोजन को सफल बनाने में गोरा चांद पंडित, पुजारी उदय कान्त मिश्र, प्रेम नाथ कुंजिलवार, सुुशील श्रृंगारी, प्रेम नाथ पांडेय, कांतानाथ सरेवार, सुुशील पलिवार, विद्याधर पाण्डेय, मोहन पंडित, पंचा महाराज, अनुप पाण्डेय, राज कुमार मिश्र, राजेश खवाड़े, बुढ़ा मिश्र, कारु कर्म्हे, अमित महाराज, नवल द्वारी, आलोक कुंजिलवार, दीना पलिवार के साथ जरनेल समाज के सदस्य तन-मन-धन से जुटे हुए हैं.

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