रांची : झारखंड के गोड्डा में अदाणी पावर प्लांट के दोनों यूनिट की बॉयलर में हर रोज 3000 क्यूबिक लीटर पानी प्रति घंटे की दर से खपत होता है यानी 24 घंटे में 72,000 क्यूबिक लीटर पानी का इस्तेमाल हो रहा है. इस पानी से स्टीम बनता है और उसी स्टीम से टर्बाइन घुमाकर बिजली बनाई जाती है. पावर प्लांट में न तो किसी तरह का जल प्रदूषण होता है और ना ही प्रदूषित जल को बाहर फेंका जाता है. इसके लिए प्लांट में कई तरह के खास तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. सबसे पहले बॉयलर से निकलने वाली अतिरिक्त भाप को कूलिंग टावर में ले जाया जाता है जहां भाप संघनित होकर फिर पानी बन जाता है. इस प्रक्रिया से लगभग 80% पानी फिर से इस्तेमाल में आ जाता है. दूसरी तकनीक है ईटीपी, जो एक वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट है. इस प्लांट के माध्यम से वेस्ट वाटर और बेकार पानी को साफ किया जाता है ताकि उसे फिर इस्तेमाल में लाया जा सके.
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट कारगर
इसी तरह की एक और तकनीक होती है एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) जो जल प्रदूषण से पर्यावरण को बचाता है. एसटीपी प्लांट से गंदे और दूषित पानी को फिर से इस्तेमाल करने लायक बनाया जाता है. अदाणी पावर प्लांट के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकले साफ पानी का इस्तेमाल हॉर्टिकल्चर यानि पेड़-पौधों की सिंचाई में किया जाता है. इसके अलावा रेन वाटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से जमा पानी को ग्राउंड वॉटर रिचार्ज के लिए इस्तेमाल किया जाता है.