रिपोर्ट : मनोज शर्मा

बोकारो : गिरिडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी द्वारा विस्थापितों की मांगों को लेकर 27 नवंबर को डीवीसी बोकारो थर्मल-चंद्रपुरा एवं बेरमो अनुमंडल अंतर्गत सीसीएल के तीनों एरिया में गेट जाम आंदोलन सही मायने में विस्थापितों के प्रति उनका दर्द है या महज चुनावी स्टंट तो नहीं है. 27 नवंबर के आंदोलन की पूर्व संध्या पर बोकारो थर्मल के झारखंड चौक सहित सभी स्थानों पर विस्थापितों द्वारा एक व्यापक मशाल जुलूस निकाला जाएगा. गेट जाम के तहत रविवार की रात्रि बारह बजे के बाद से ही डीवीसी पावर प्लांट के गेट सहित प्लांट में प्रवेश के सभी रास्तों को जाम कर दिया जाएगा. साथ ही रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म पर भी लोग मौजूद रहेंगे ताकि उधर से दीवार फांदकर कामगार प्लांट जाने की कोशिश नहीं करें.

आम लोक सभा चुनाव के चार माह पूर्व सांसद को विस्थापितों की चिंता एवं आंदोलन है चर्चा में-17वीं लोकसभा का कार्यकाल चार माह बाद समाप्त होने को है. चुनाव के ठीक चार माह पूर्व गिरिडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी को डीवीसी एवं सीसीएल के विस्थापितों की चिंता एवं दर्द तथा इसको लेकर 27 नवंबर को डीवीसी के बोकारो थर्मल,चंद्रपुरा पावर प्लांट सहित सीसीएल के तीनों एरिया कथारा,बोकारो-करगली एवं ढ़ोरी का जाम आंदोलन करने की घोषणा पूरे क्षेत्र में लोगों के बीच चर्चा का विषय है.

आंदोलन को लेकर लोगों का कहना है कि पौने पांच वर्ष तक सांसद ने एक बार भी विस्थापितों एवं स्थानीय लोगों के हक एवं अधिकार तथा रोजगार मुहैया करवाने को लेकर कोई आंदोलन नहीं की और ना ही कभी मुखर दिखे. उनका कहना है कि आंदोलन के मार्फत सांसद जनसंपर्क अभियान में चुनाव को लेकर जुट गये हैं. आम लोगों इस बात की भी चर्चा करते नजर आते हैं कि केंद्र में एनडीए की सरकार है और उस घटक में आजसू भी शामिल है. सांसद ने डीवीसी एवं सीसीएल के खिलाफ जो कि भारत सरकार एवं सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है,आंदोलन की घोषणा कर रखी है. डीवीसी के खिलाफ आंदोलन यदि एक बार फिर से लंबा चला और प्लांट को बंद करने की नौबत डीवीसी के समक्ष आ जाती है तो केंद्र की सरकार इसे बर्दाश्त करेगी या फिर आंदोलन का हश्र वर्षों पूर्व के आंदोलन जैसा होगा.

2000 में बाजपेयी सरकार के कार्यकाल में किया गया था सांसद द्वारा गेट जाम-वर्ष 2000 में केंद्र में अटल बिहारी बाजपेयी एवं झारखंड में बाबूलाल मरांडी की सरकार थी.गिरिडीह के सांसद रविंद्र कुमार पांडेय थे.मांगों को लेकर तत्कालीन सांसद ने 630 मेगावाट वाले बी पावर प्लांट का गेट जाम आंदोलन चला रखा था.बोकारो थर्मल में डीवीसी के मुख्य अभियंता एमआर श्रीवास्तव और कोलकाता में डीवीसी के चेयरमैन जेसी जेटली थे.आंदोलन लगातार चलने एवं प्रशासनिक सहयोग नहीं मिलने के बाद डीवीसी चेयरमैन ने आंदोलन की जानकारी केंद्र को देते हुए स्थानीय मुख्य अभियंता को निर्देश दिया था कि पावर प्लांट से सभी कामगारों एवं इंजीनियरों को प्लांट से बाहर कर गेट में ताला लगाकर बोकारो डीसी को चाभी सौंप दें.केंद्र की सरकार ने मामले को लेकर सूबे के सीएम बाबूलाल मरांडी को दिल्ली बुलाया. सीएम ने बोकारो डीसी को निर्देश दिया था कि दिल्ली पहुंचने के पूर्व ही डीवीसी का गेट जाम आंदोलन को सख्ती से समाप्त करवाने की दिशा में कार्रवाई की जाय. बोकारो के तत्कालीन डीसी एवं एसपी ने बोकारो थर्मल पहुंच तत्कालीन सांसद को मामले से अवगत करवाते हुए वार्ता के लिए निदेशक भवन ले गये और आंदोलन को समाप्त करवाया था. पिछले दिनों बेरमो विधायक कुमार जयमंगल सिंह द्वारा तीन दिनों तक डीवीसी बोकारो थर्मल एवं चंद्रपुरा प्लांट का गेट जाम आंदोलन में डीवीसी को कितना प्रशासनिक एवं पुलिस का सहयोग मिला वह सबको पता है.ऐसे में एक बार फिर इस बात की चर्चा है कि इस बार भी केंद्र में एनडीए की सरकार है और उनके ही सांसद द्वारा गेट जाम आंदोलन को केंद्र किस तरह लेती है,यह आनेवाले समय में ही पता चलेगा.

डीवीसी ने कर रखी है जाम से निबटने की तैयारी

सांसद द्वारा गेट जाम आंदोलन को देखते हुए डीवीसी प्रबंधन ने भी एहतियातन उपाय करने आरंभ कर दिये हैं. पावर प्लांट में द्वितीय पाली में रविवार को ड्यूटी पर जाने वाले कामगारों, इंजीनियरों को रात्रि दस बजे ड्यूटी समाप्त होने के बाद भी निकलने नहीं दिया जाएगा. इसके अलावा रविवार को रात्रि पाली एवं सोमवार को सुबह की पाली के कामगारों एवं इंजीनियरों को भी रविवार की शाम में ही प्लांट बुला लिया गया है. सभी के पावर प्लांट में रहने, खाने पीने की व्यवस्था की गयी है ताकि आंदोलन के लंबा खिंचने पर सभी सुगमतापूर्वक ड्यूटी कर सकें.

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