रांची : देश में लोकसभा चुनाव का शोर है. ऐसे में सिंहभूम लोकसभा सीट ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा है. जहां इस सीट के लिए दो महिला उम्मीदवार गीता कोड़ा (जो हाल ही में कांग्रेस को छोड़ बीजेपी में शामिल हुई) और जेएमएम की जोबा मांझी आमने सामने है. गौरतलब है कि सिंहभूम लोकसभा सीट के अंतर्गत छह विधानसभआ सीटें शामिल हैं. जिनमें दो सीटें जगन्नाथपुर और मनोहरपुर में पिछले कुछ समय से महिला नेताओं का दबदबा रहा है. जगन्नाथपुर विधानसभा सीट से मौजूदा सांसद और दो बार विधायक रहीं गीता कोड़ा आगामी चुनाव में अपनी सीट बचाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. वहीं, मनोहरपुर विधानसभा सीट से पांच बार विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री जोबा मांझी उन्हें कड़ी टक्कर दे रही हैं. मीडिया ने पहले ही दो सम्मानित महिला राजनेताओं के बीच इस टकराव को कवर करना शुरू कर दिया है. यह देखना दिलचस्प होगा की चीजें कैसे सामने आती हैं.
2019 में कांग्रेस के टिकट पर गीता कोड़ा ने जीता था चुनाव
2019 के चुनाव में गीता कोड़ा ने कांग्रेस के टिकट पर यह सीट जीती थी लेकिन अब वह बीजेपी में शामिल हो गई हैं. इस कदम से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है क्योंकि इस निर्वाचन क्षेत्र के कई कांग्रेस कार्यकर्ता भी उनके खेमे में शामिल हो गए हैं. जहां कुछ लोग इसे गीता कोड़ा का अवसरवादी कदम मानते हैं, वहीं अन्य का मानना है कि यह लोकसभा में अपनी स्थिति सुरक्षित करने का एक रणनीतिक निर्णय है. वजह जो भी हो, इसने इस चुनाव में एक दिलचस्प मोड़ जरूर जोड़ दिया है.
जोबा मांझी का भी अपने निर्वाचन क्षेत्र में दबदबा
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने सिंहभूम लोकसभा सीट से जोबा मांझी को अपना उम्मीदवार बनाया है. कई लोगों ने अनुमान लगाया था कि झामुमो इस सीट के लिए दीपक बिरुआ पर विचार करेगा, लेकिन अंततः उन्होंने जोबा मांझी को चुना. इस फैसले को लोगों ने खूब सराहा है क्योंकि जोबा मांझी एक लोकप्रिय शख्सियत हैं और अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक मजबूत आवाज रही हैं. जोबा मांजी, को इस तथ्य का संविष्य करना होगा कि वह “संथाल” से आती हैं और वह बहुलवादी क्षेत्र में “हो” जाति या समुदाय में अपना समर्थन कैसे बनाती हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि उनकी प्रतिद्वंद्वी गीता कोड़ा “हो” समुदाय से आती हैं, जिनकी सिंगभूम लोकसभा क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति है.
मीडिया की बढ़ी दिलचस्पी
इन दोनों महिला उम्मीदवारों के बीच आमना-सामना जोरदार होने की उम्मीद है और मीडिया इसे बड़े पैमाने पर दिलचस्पी रहेगी. गीता कोड़ा और जोबा मांझी दोनों की राजनीतिक पृष्ठभूमि मजबूत है और वे अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों के विकास के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपना एजेंडा कैसे पेश करती हैं लोगों के वोटों के लिए कैसे पेश आतीं हैं.
लोकसभा में दिखेगा विचारों का टकराव
यह चुनाव सिर्फ एक सीट के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाली दो महिलाओं के बारे में नहीं है, बल्कि उनकी विचारों और राजनीतिक दलों के बारे में भी है. गीता कोड़ा के कांग्रेस से भाजपा में जाने के साथ, उनके लिए अपनी नई पार्टी के प्रति अपनी वफादारी साबित करना और लोगों को यह विश्वास दिलाना एक परीक्षा होगी कि वह इस पद के लिए सही उम्मीदवार हैं. दूसरी ओर, पहली बार जोबा मांझी लोकसभा उम्मीदवार के तौर पर अपनी स्थिति सुरक्षित करने के लिए एक नेता के रूप में अपने अनुभव और ट्रैक रिकॉर्ड को प्रदर्शित करने का लक्ष्य रखेंगी.
बीजेपी-जेएमएम के लिए ये लड़ाई महत्वपूर्ण
इस चुनाव को और भी महत्वपूर्ण बनाने वाली बात यह है कि ये दोनों महिलाएं देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. भाजपा अपनी मजबूत राष्ट्रीय उपस्थिति के साथ इस सीट को बरकरार रखने का प्रयास करेगी, जबकि झारखंड में मजबूत प्रभाव रखने वाली क्षेत्रीय पार्टी झामुमो का लक्ष्य राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराना होगा. यह इन दोनों पार्टियों के लिए एक महत्वपूर्ण लड़ाई बनाती है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इस सीट को जीतने के लिए अपने संसाधनों और रणनीतियों का उपयोग कैसे करती हैं.
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से जनता कितना इमोशनल?
ऐसी अटकलें हैं कि कांग्रेस ने अपने अन्य सहयोगी झारखंड मुक्ति मोर्चा को समायोजित करने के लिए इंडी अलायंस में अपनी मौजूदा सीट का त्याग कर दिया है. यह सिर्फ एक अनुमान है और यह देखना बाकी है कि इस क्षेत्र में मोदी लहर का कितना प्रभाव है. क्या बीजेपी ईसाई और मुस्लिम समुदायों के पारंपरिक वोटों को अपने पाले में कर पाती है जो आमतौर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा या इंडी अलायंस को जाते हैं. चुनाव का परिणाम अंततः इस बात पर भी निर्भर करेगा कि पूर्व कांग्रेस के सांसद को अपना उम्मीदवार बनाने के पीछे भाजपा के फैसले का क्या कारण हैं. दूसरी तरफ इंडी गठबंधन उम्मीदवार झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी कितनी भावनात्मक रूप से जनता के बीच ले जा सकते है.
दोनों महिला उम्मीदवारों के लिए कठिन परीक्षा
गीता कोड़ा और जोबा मांझी के बीच वोटों के लिए उनकी लड़ाई न केवल यह तय करेगी कि इस सीट पर कौन जीतता है, बल्कि अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए उनकी नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता को भी प्रदर्शित करेगा. यह निश्चित रूप से नजर रखने लायक चुनाव है, क्योंकि इसमें देश के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव लाने की क्षमता है.
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