रांची : लोकसभा चुनाव में झारखंड के हॉट सीट यानी गांडेय विधानसभा को लेकर राजनीतिक पारा बढ़ा हुआ है. पूर्व में झामुमो विधायक सरफराज अहमद के इस्तीफे से यह सीट खाली हुई है. सरफराज अहमद के इस्तीफे के साथ, भाजपा ने जीत हासिल करने या अपने प्रतिद्वंद्वी (जेएमएम) के कल्पना सोरेन के खिलाफ निर्वाचन क्षेत्र में एक विशेष अभियान शुरू किया है जिसमें कम कद्दावर नेता को एक विशिष्ट रणनीति के तहत मैदान में उतारा है.
अगर बात करें गांडेय निर्वाचन क्षेत्र की तो यहां की स्थिति सामान्य नहीं है. दोनों प्रमुख दलों, झामुमो और भाजपा के लिए दांव ऊंचे हैं, क्योंकि वे इस प्रतिष्ठित सीट के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हालांकि जेएमएम की ओर से अभी गांडेय विधानसभा उपचुनाव के लिए आधिकारिक तौर पर उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन यह तय माना जा रहा है कि पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन गांडेय उपचुनाव के लिए जेएमएम उम्मीदवार होंगी. चुनाव मैदान में उतरने के पहले कल्पना सोरेन अब तक तीन बार गांडेय का दौरा भी चुकी हैं.
राज्य में मौजूदा पार्टी होने और विधानसभा में अल्पसंख्यक एवं आदिवासी सदस्यों के बीच मजबूत समर्थन के कारण, झामुमो को इस सीट के लिए एक मजबूत दावेदार माना जाता है. हाल ही में कल्पना सोरेन के पति और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कारावास ने चुनाव में एक भावनात्मक तत्व जोड़ दिया है. यह संभावित रूप से उनके पक्ष में काम कर सकता है क्योंकि इससे आदिवासी समुदाय से सहानुभूति वोट मिल सकते हैं.
वहीं, भाजपा के उम्मीदवार दिलीप वर्मा हैं, कल्पना सोरेन को कड़ी टक्कर देते दिख रहे हैं. लेकिन यही उपचुनाव अगर लोकसभा चुनाव के साथ नहीं हुआ होता तो दिलीप वर्मा इतनी कड़ी टक्कर बिल्कुल ही नहीं दे सकते थे.
गांडेय विधानसभा में ग्रामीण समुदाय के विरोध और असंतोष के कारण लोकसभा चुनाव में भाजपा की प्रत्याशी अनपूर्णा देवी के अभियान में रुकावट है. क्षेत्र में विकास कार्यों की कमी से ग्रामीणों में निराशा है और वे अब अन्नपूर्णा देवी को वोट देने से इनकार कर रहे हैं प्रथम दृष्टि से ये ऐसा लगता है कि यह फैक्टर विधानसभा उपचुनाव में दिलीप वर्मा के पक्ष में जाएगा. ये भी है कि अन्नपूर्णा देवी की जीत सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे पर्याप्त संसाधन और प्रयास बाई डिफाल्ट दिलीप वर्मा के पक्ष में भी काम करेंगे ही . ऐसे में दिलीप वर्मा कल्पना सोरेन के खिलाफ कड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं.
भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं द्वारा गांडेय विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीणों को अपनी उम्मीदवार अन्नपूर्णा देवी को वोट देने के लिए मनाने के प्रयासों के बावजूद, वे उनका समर्थन न करने के अपने फैसले पर अड़े हुए हैं. दरअसल, सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में ग्रामीण खुलेआम बीजेपी प्रत्याशी अन्नपूर्णा देवी के प्रति अपना विरोध जताते नजर आ रहे हैं. इससे इस क्षेत्र में भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी के प्रचार अभियान की प्रभावशीलता पर सवाल उठता है.
गांडेय की राजनैतिक स्थिति की जटिलता को बढ़ाते हुए, झामुमो नेता सुदिव्य कुमार सोनू ने हाल ही में ट्वीट किया . इस ट्वीट को मतदाताओं का समर्थन तो मिला, लेकिन बीजेपी के प्रमुख नेता निशिकांत दुबे ने तुरंत इसका पलटवार किया. यह इस सीट के लिए दोनों पार्टियों और उनके नेताओं के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा को उजागर करता है.
गांडेय विधानसभा में मचे सियासी घमासान के बीच झामुमो नेता और गिरिडीह सदर विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने सोशल मीडिया पर कहा कि मतदाताओं के पास सिर्फ एक विधायक के बजाय अपना भावी मुख्यमंत्री चुनने का मौका है. इस पोस्ट को झामुमो पदाधिकारीयों, समर्थकों और गांडेय विधानसभा के मतदाताओं का काफ़ी समर्थन मिला, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने कल्पना सोरेन की जीत सुनिश्चित करने के प्रयास बढ़ा दिए.
सोनू के ट्वीट के जवाब में झारखंड में बीजेपी के राजनीतिक रणनीतिकार कहे जाने वाले निशिकांत दुबे ने कल्पना सोरेन का विरोध किया और दावा किया कि उनकी जेठानी सीता सोरेन पहले ही बीजेपी में शामिल हो चुकी हैं और लोकसभा चुनाव में दुमका से बीजेपी उम्मीदवार हैं. उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की कि उनके देवर बसंत सोरेन भी जून या जुलाई में ऐसा ही करेंगे. ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे निशिकांत दुबे ने वर्तमान मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के दुखती रग पर हाथ रख दिया है. दुबे के इन ट्वीट्स ने राजनीतिक विश्लेषकों के बीच चिंता बढ़ा दी है, जिन्हें डर है कि इससे झामुमो के भीतर विभाजन हो सकता है और मतदाता और पार्टी कार्यकर्ता हतोत्साहित हो सकते हैं.
गांडेय विधानसभा सीट झारखंड के मध्य क्षेत्र का हिस्सा है, और इसकी 97 फीसदी आबादी ग्रामीण है, और शेष 3 फीसदी आबादी शहरी है. इस विधानसभा सीट में 11.35 फीसदी अनुसूचित जाति (SC) तथा 20.23 फीसदी अनुसूचित जनजाति (ST) की आबादी है. गांडेय उपचुनाव के नतीजे न केवल स्थानीय विधानसभा को प्रभावित करेंगे बल्कि राज्य और राष्ट्रीय राजनीति पर भी व्यापक प्रभाव डालेंगे. झामुमो की जीत से राज्य में उनकी स्थिति मजबूत होगी, जबकि भाजपा की जीत से उनका मनोबल बढ़ेगा और संभावित रूप से आगामी विधानसभा चुनावों में उनकी रणनीतियों पर असर पड़ेगा.
अंत में, गांडेय की स्थिति कई कारकों के साथ एक जटिल और गतिशील राजनीतिक परिदृश्य प्रस्तुत करती है. हेमंत सोरेन की जेल, ग्रामीणों का विरोध, संबंधित उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने वाले प्रमुख नेता और दोनों दलों की भावनात्मक अपीलें इस उपचुनाव की तीव्रता में योगदान दे रही हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव के दिन ये कारक कैसे सामने आते हैं और अंतिम परिणाम पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा. एक बात तो तय है कि गांडेय विधानसभा में जीत हासिल करने के लिए जेएमएम और बीजेपी दोनों ही पूरी ताकत झोंक देंगे.
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