नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को पूर्व आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को गिरफ्तारी से मिली अंतरिम सुरक्षा 5 सितंबर तक बढ़ा दी है. उन पर यूपीएससी परीक्षा में धोखाधड़ी करके मान्य सीमा से ज्यादा बार परीक्षा देने का आरोप है.
पूजा खेडकर पर यूपीएससी ने पिछले महीने कई कार्यवाइयां शुरू की थीं. इनमें फर्जी पहचान से सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के आरोप में आपराधिक मामला दर्ज करना भी शामिल है. दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की है. 31 जुलाई को यूपीएससी ने पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से भी वंचित कर दिया था.
पूजा खेडकर का कहना है कि चयन और नियुक्ति के बाद, यूपीएससी के पास उन्हें अयोग्य घोषित करने का अधिकार नहीं है. उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई केवल केंद्र सरकार का कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ही कर सकता है. पूजा ने अपने ऊपर लगे फर्जी दस्तावेजों और धोखाधड़ी के आरोपों का खंडन किया है. उन्होंने चार पन्नों के जवाब में दावा किया है कि उन्होंने 2012 से 2022 तक न तो अपना पहला नाम बदला है और न ही अपना उपनाम. उन्होंने आयोग के सामने अपना नाम गलत तरीके से पेश नहीं किया है. उन्होंने जवाब में कहा है, ‘2012 से 2022 तक आवेदक के पहले नाम और उपनाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जैसा कि सभी डीएएफ में लगातार दिखाया गया है.
आवेदक ने यूपीएससी के सामने अपना नाम गलत तरीके से पेश नहीं किया है. शैक्षणिक प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, जन्म तिथि और व्यक्तिगत जानकारी सहित अन्य सभी विवरण डीएएफ में समान रहे हैं.’
यह जवाब पूजा खेडकर ने अपनी याचिका में दायर किया है. इस याचिका में उन्होंने अग्रिम जमानत की मांग की है. उन पर फर्जी पहचान बताकर यूपीएससी परीक्षा में निर्धारित सीमा से अधिक बार शामिल होने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. 20 अगस्त को दायर अपने जवाब में, यूपीएससी ने अग्रिम जमानत का विरोध किया है. यूपीएससी का कहना है कि पूजा से पूछताछ की जरूरत है.
इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि आखिर किसने उन्हें सिविल सेवा परीक्षा 2022 में अस्थायी रूप से चयनित कराने में मदद की. आयोग ने कहा कि पूजा खेडकर द्वारा की गई धोखाधड़ी की गंभीरता अभूतपूर्व है क्योंकि यह न केवल आयोग के खिलाफ की गई है, जिसकी अद्वितीय परंपराएं हैं, बल्कि आम जनता के साथ-साथ देश के नागरिकों के खिलाफ भी है, जिन्हें आयोग की विश्वसनीयता पर भरोसा है.
यूपीएससी के हलफनामे का जवाब देते हुए, पूजा खेडकर ने अपने जवाब में दावा किया कि पेश किया गया कोई भी दस्तावेज जाली, मनगढ़ंत या फर्जी नहीं था. सभी दस्तावेज सक्षम अधिकारियों द्वारा जारी किए गए थे. उन्होंने कहा कि वह अग्रिम जमानत की हकदार हैं. उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत नहीं है. आयोग के पास पहले से ही 11 दस्तावेज हैं. उनसे किसी और दस्तावेज की जरूरत नहीं है. 21 अगस्त को, हाई कोर्ट ने खेडकर को दी गई गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा 29 अगस्त तक बढ़ा दी. दिल्ली पुलिस और यूपीएससी ने इसका विरोध किया था.