रांची/पलामू। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी सोमवार को पलामू एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट में पेश हुए। जज सतीश कुमार मुंडा की कोर्ट में पेश होकर बाबूलाल मरांडी ने अपना पक्ष रखा। कोर्ट ने पक्ष और गवाहों के बयान के आधार पर बाबूलाल मरांडी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। बाबूलाल मरांडी ने कोर्ट के फैसले पर संतोष जाहिर करते हुए कहा कि एडीएम में अनुमति होने के बावजूद प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जो गलत था। उन्होंने कुछ गलत नहीं किया था इसलिए उन्हें आज न्याय मिला है।
वहीं अधिवक्ता अनिल पांडे ने कहा कि पूरा मामला 29 अप्रैल 2011 का है और डाल्टनगंज के साहित्य समाज चौक के पास प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने का विरोध से जुड़ा हुआ है। बाबूलाल मरांडी ने अतिक्रमण हटाने का विरोध नहीं किया था बल्कि पीड़ितों के पुनर्वास की मांग के लिए महाधरना दिया था। एसडीओ से महाधरना की अनुमति होने के बाद भी गलत तरीके से धारा 144 के उल्लंघन का आरोप लगाकर एडीएम विधि व्यवस्था मुकुल पांडे ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी. धारा 144 उल्लंघन को लेकर सिर्फ एक व्यक्ति के ऊपर एफआईआर करना कहीं से सही नहीं था. प्रशासन की ओर से पेश किये गए सभी चार गवाह गुनाह साबित नहीं कर सके। इसलिए साक्ष्य के अभाव में 12 साल बाद बाबूलाल मरांडी को बरी किया गया।