रांची। झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो ने कहा कि अगर भूख से किसी की मौत हो जाए, तो इससे बड़ा कोई दुख नहीं हो सकता इसलिए समाज और सरकार को ज्यादा जिम्मेदार होने की जरूरत है।
श्री महतो ने आज यहां श्री कृष्ण लोक प्रशासन संस्थान में झारखंड राज्य खाद्य आयोग के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित पुरस्कार वितरण सह कार्यशाला में एनएफएसए से जुड़े पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के बाद इतने बड़े कालखंड के बाद भी अनाज उत्पादन में हम आत्मनिर्भर नहीं बन पाए हैं, लेकिन प्रयास जारी है। आत्मनिर्भर नहीं बनने की वजह से ही हमें खाद्य सुरक्षा जैसे कानून की जरूरत हुई और अगर कानून बनाने के बाद भी भूख से मौत हो, तो हमें और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।
श्री महतो ने कहा कि फूड एंड सिविल सप्लाई एक बहुत बड़ा मसला है। जनवितरण प्रणाली की दुकानों में सरकार राशन पहुंचाती है, एक बड़ी मशीनरी कार्यरत है। हमें इस मशीनरी को और ज्यादा सुदृढ़ करने की जरूरत है। खाद्य सुरक्षा अधिनियम और उनके अधिकारों के प्रति लोगों को जागरूक करना जरूरी है। राज्य में जितने भी कंज्यूमर फोरम हैं, उन्हें सक्रिय करने की जरूरत है। लोगों की शिकायतों का निष्पादन ससमय हो, इसका व्यापक प्रचार होना चाहिए और नियमों के मुताबिक अनुपालन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शहर, प्रखंड फिर गांव और टोले के अंतिम व्यक्ति को खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में लाने के लिए अधिकारियों को सक्रिय भूमिका निभाने की जरूरत है।
आयोग ग्राउंड लेवल पर जाकर योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा करे और खामियों की शिनाख्त कर उसे निष्पादित करे, तो बेहतर परिणाम सामने आयेंगे। डोर स्टेप डिलीवरी को लेकर कड़ाई होनी चाहिए, लेकिन अनुज्ञप्ति धारकों को लेकर उदारता भी जरूरी है। पीडीएस दुकानदारों के कमीशन की भी समीक्षा होनी चाहिए। उन्होंने आयोग के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि पहले की बनिस्पत इसबार खाद्य आयोग ने विभिन्न स्तर पर बेहतर कार्य किया है। अच्छे कार्य करने वालों का सम्मान होना चाहिए, ताकि पदाधिकारियों के बीच कार्य संस्कृति को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़े और अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचे।