माले : मालदीव से भारतीय सैनिकों का पहला बैच वापस लौट गया है. मालदीव की चीन समर्थक मुइज्जू सरकार इसे अपनी जीत के तौर पर प्रचारित कर रही है. इस बीच भारतीय सैनिकों की वापसी पर चीन की भी प्रतिक्रिया आ गई है. चीनी विदेश मंत्रालय ने भारतीय सैनिकों की वापसी को लेकर मालदीव की स्वतंत्रता, संप्रभुता और स्वायत्तता का राग अलापा है.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने मालदीव में तैनात भारतीय सैन्यकर्मियों के पहले बैच के प्रस्थान को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा, “चीन अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा करने में मालदीव का समर्थन करता है और स्वतंत्रता और स्वायत्तता के आधार पर सभी पक्षों के साथ मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान और सहयोग विकसित करने में मालदीव का समर्थन करता है.”

मालदीव की मुइज्जू सरकार ने हाल में ही चीन के साथ एक सैन्य समझौता किया है. इस समझौते के तहत चीनी सेना मालदीव की सेना को निशुल्क सैन्य सहायता देगी. यह भी कहा जा रहा है कि इस समझौते के तहत मालदीव की सेना को चीनी हथियार भी प्राप्त होंगे. इस समझौते की रूपरेखा मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की चीन यात्रआ के दौरान तैयार की गई थी. इसी के तहत वापस लौटते ही मुइज्जू ने एयरपोर्ट से ही भारत पर निशाना साधते हुए उसे बुली करार दिया था. इसके बाद उन्होंने मालदीव में चीनी जासूसी जहाजों को ठहरने की भी मंजूरी दी थी.

ऐसी भी रिपोर्ट है कि चीनी नौसेना मालदीव में एक नौसैनिक रडार स्थापित करने की तैयारी कर रही है. इसके लिए मुइज्जू सरकार की ओर से जरूरी मंजूरी भी दे दी गई है. मुइज्जू ने खुद कहा था कि उनकी सरकार अगले कुछ महीनों में मालदीव के आर्थिक अनन्य क्षेत्र की निगरानी के लिए रडार स्थापित करने जा रही है. चूंकि मालदीव के पास ऐसे रडार बनाने की कोई क्षमता नहीं है. ऐसे में संभावना है कि इस नौसैनिक रडार को चीन स्थापित करे. चीनी रडार स्थापित होने से भारत की जासूसी का खतरा बढ़ जाएगा. इतना ही नहीं, चीन हिंद महासागर से होने वाले समुद्री परिवहन पर भी नजर रख सकेगा.

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