रांची: राजधानी के बीचो बीच अलबर्ट एक्का चौक पर सुपरस्पेशियलिटी सदर हॉस्पिटल का निर्माण कराया गया. जिसमें मरीजों के लिए सारी सुविधाएं दी गई. हाईटेक लाउंड्री से लेकर सेंट्रल स्टरलाइजेशन सेंटर बनाया गया. पैथोलॉजी लैब, वैक्सीन सेंटर, कलेक्शन सेंटर के मॉड्यूलर किचन भी बनाया गया. इसमें करोड़ों रुपए फूंक दिए गए. जिससे कि मरीजों को हाइजेनिक सुविधाएं मिले. लेकिन हॉस्पिटल प्रबंधन चंद पैसों के लिए मरीजों की डाइट से खिलवाड़ कर रहा है. जी हां हम बात कर रहे है सदर के मॉड्यूलर किचन की. जहां लाखों रुपए खर्च करने के बाद अब मॉड्यूलर किचन ठेकेदार को रेस्टोरेंट चलाने के लिए दे दिया गया है. वहीं मरीजों का खाना बनाने के लिए किचन को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया है. जहां न तो सुविधाएं है और न ही हाइजीन का ख्याल रखा जा रहा है.

लाउंड्री के बगल में किचन शिफ्ट

370 करोड़ रुपए की लागत से बने इस हॉस्पिटल में मॉड्यूलर किचन बनाया गया था. जिसमें खाना बनाने के लिए मशीनें भी मंगाई गई थी. इसके अलावा सारी सुविधाएं एक ही जगह पर थी. नक्शा के अनुसार किचन को एक कोने में बनाया गया था. अब इसे आहार केंद्र के नाम से चल रहे रेस्टोरेंट के संचालक को दे दिया गया है. वहीं किचन को लाउंड्री के ठीक बगल में शिफ्ट कर दिया गया है. वहीं उस जगह पर न तो प्रापर लाइट के इंतजाम है और न ही खाना बनाने के. हाइजीन को लेकर भी कोई खास इंतजाम नहीं किए गए है. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रबंधन को मरीजों की सेहत की कोई परवाह नहीं है. 

क्या कहते है जिम्मेवार अधिकारी

इस मामले में सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार का कहना है आपको गलत जानकारी दी गई है. सालों साल से बहुत ही गंदे माहौल अनहाइजीनिक जगह पर रोगियों का खाना बन रहा था. इसे वर्तमान में काफी काम करवाकर नए हाइजीनिक जगह पर लाया गया है. पुराने गंदे जगह को जब कैंटीन के लिए दिया गया है. कैंटीन ऑनर ने लगभग 12 लाख रुपए खर्च कर इसे बैठने लायक बनाया. वर्तमान में कैंटीन ऑनर को लॉस हो रहा है. लेकिन हम सबों को ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि कैंटीन को कुछ लाभ हो क्योंकि बारह गरीब परिवार इस पर निर्भर है. रोगियों के परिवार जनों को सबसे कम दर पर अच्छा खाना मिल पा रहा है. रोगियों को उनके बेड के पास ही खाना देने का नियम है. इसलिए इसे रेस्टोरेंट की तरह सजाना जरूरी नहीं है.

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