Joharlive Desk

नई दिल्ली । 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज के संबंध में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही हैं। ये पैकेज आत्मनिर्भर भारत अभियान की अहम कड़ी के तौर पर काम करेगा। यह देश की विकास यात्रा को नई गति देगा।

निर्माण के काम के लिए छह महीने तक के लिए एक्सटेंशन दिया जा रहा है। निर्धारित समय में किए जाने वाले काम को तय तारीख से छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा 25 मार्च 2020 के बाद जो भी रजिस्ट्रेशन और कंस्ट्रक्शन के लिए आगे बढ़े हैं, उन्हें छह महीने के लिए फायदा होगा। बिल्डरों को भी मकान पूरा करने के लिए अतिरिक्त वक्त दिया जाएगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि डिस्कॉम यानी पावर जनरेटिंग कंपनियों को कैश फ्लो की दिक्कत हो रही है इसलिए उनके लिए 90 हजार करोड़ की सहायता तय की गई है। बिजली वितरण कंपनियों की आय में भारी कमी आई है। बिजली उत्पादन और वितरण करने वाली कंपनियों के लिए यह प्रावधान किया गया है। 90 हजार करोड़ रुपये सरकारी कंपनियों पीएफसी, आरईसी के माध्यम से दिया जाएगा। 

एनबीएफसी को 45,000 करोड़ की पहले से चल रही योजना का विस्तार होगा। आंशिक ऋण गारंटी योजना का विस्तार होगा। इसमें डबल ए या इससे भी कम रेटिंग वाले एनबीएफसी को भी कर्ज मिलेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि एनबीएफसी के लिए सरकार की 30 हजार करोड़ की स्पेशल लिक्विडिटि स्कीम है। एनबीएफसी के साथ हाउसिंग फाइनेंस और माइक्रो फाइनेंस को भी इसी 30 हजार करोड़ में जोड़ा गया है। इनकी पूरी गारंटी भारत सरकार देगी।

15 हजार रुपये से कम सैलरी वालों को सरकारी सहायता मिलेगी। सैलरी का 24 फीसदी सरकार पीएफ में जमा करेगी। इसके लिए सरकार की ओर से 2,500 करोड़ की मदद दी जा रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा पीएफ कॉन्ट्रीब्यूशन अगले तीन महीनों के लिए घटाया जा रहा है। यह कदम नियोक्ताओं के लिए उठाया गया है। पीएसयू को 12 फीसदी ही देना होगा। पीएसयू पीएफ का 12 फीसदी ही देंगे लेकिन कर्मचारियों को 10 फीसदी पीएफ देना होगा।

पहले सिर्फ निवेश के आधार पर एमएसएमई की परिभाषा तय की जाती थी, पर अब टर्नओवर के आधार पर भी एमएसएमई की परिभाषा तय की जाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि ज्यादा निवेश वाली कंपनियों को भी एमएसएमई के दायरे में ही रखा जाएगा। माइक्रो यूनिट में 25 हजार रुपये तक का निवेश माना जाता था। इसे बदलकर 1 करोड़ रुपये किया गया है। साथ ही अगर टर्नओवर 5 करोड़ तक का है, तब भी आप माइक्रो यूनिट के अंदर ही आएंगे। इससे एमएसएमई का बिजनेस करना आसान होगा और आत्मनिर्भर भारत अब मेक इन इंडिया के तहत आगे बढ़ेगा।

जिस MSME का टर्नओवर 100 करोड़ है वे 25 करोड़ तक लोन ले सकते हैं। जो लोन दिया जाएगा उसे चार सालों में चुकाना होगा। आकार बढ़ाने की चाहत रखने वाली एमएसएमई के लिए फंड्स ऑफ फंड्स का प्रावधान किया गया है, जिससे 50 हजार करोड़ की इक्विटी इंफ्यूजन होगी। जिस MSME का टर्नओवर 100 करोड़ है वे 25 करोड़ तक लोन ले सकते हैं। जो लोन दिया जाएगा उसे चार सालों में चुकाना होगा। आकार बढ़ाने की चाहत रखने वाली एमएसएमई के लिए फंड्स ऑफ फंड्स का प्रावधान किया गया है, जिससे 50 हजार करोड़ की इक्विटी इंफ्यूजन होगी। 

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