रांची: झारखण्ड सरकार लिम्फेटिक फाइलेरिया (हाथीपांव) के उन्मूलन हेतु पूरी तरह प्रतिबद्ध है. इसी के फलस्वरूप राज्य सरकार 10 फरवरी से 25 फरवरी तक झारखण्ड के 14 फाइलेरिया प्रभावित जिलों बोकारो, देवघर, धनबाद, गुमला, रामगढ़, साहेबगंज, पाकुड़, कोडरमा, रांची, गिरिडीह, गढ़वा, लोहरदगा, सिमडेगा और पूर्वी सिंहभूम में फाइलेरिया रोग उन्मूलन के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है. कार्यक्रम को सफल बनाने को लेकर वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के स्टेट प्रोग्राम आफिसर डॉ बिरेंद्र कुमार की अध्यक्षता में 14 जिलों के अधिकारियों को ट्रेनिंग दी गई. उन्होंने कहा कि फ़ाइलेरिया मुक्त झारखण्ड के लिए आगामी मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के दौरान सभी पात्र लाभार्थियों को फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों के सामने सुनिश्चित किया जाये. साथ ही कहा कि किसी भी प्रकार की परेशानी को तत्काल दूर किया जाए. किसी भी कार्यक्रम की सफलता के लिए सामुदायिक सहभागिता बहुत आवश्यक है.

हर उम्र के लोगों को दवा

उन्होंने कहा कि फरवरी में शुरू किये जा रहे मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम में फाइलेरिया से मुक्ति के लिए 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर सभी को उम्र के अनुसार डीईसी और अलबेंडाजोल की निर्धारित खुराक मुफ़्त खिलाई जाएगी. उपरोक्त 14 जिलों में केवल सिमडेगा जिले में आईडीए आयोजित किया जायेगा. वहां डीईसी और अलबेंडाजोल के साथ आईवरमेक्टिन भी खिलाई जायेगी. उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी आयुवर्ग में होने वाला फाइलेरिया संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है. अगर इसका इलाज न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है. फाइलेरिया के कारण हाइड्रोसील, लिम्फेडिमा से ग्रसित लोगों की काम करने की क्षमता के साथ आजीविका भी प्रभावित होती है. ऐसे लोगों को सामाजिक भेदभाव सहना पड़ता है.

यह बीमारी लोगों को दिव्यांग और अक्षम बना देती है

एंटोमोलोजिस्ट साज्ञा सिंह ने बताया कि आगामी मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को सफल बनाने के लिए सुनियोजित रणनीति के साथ सभी तैयारियां की जा रही है. दवाओं की उपलब्धता, मानव संसाधन के साथ ही माइक्रो प्लान पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि राज्य स्तर से जिला स्तर तक विभिन्न विभागों एवं स्वयं सेवी संस्थाओ के साथ समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी समन्वयक डॉ अभिषेक पॉल ने अपने संबोधन में लिम्फेटिक फाइलेरिया बीमारी की गंभीरता को समझाते हुए इसके उन्मूलन हेतु प्राथमिकता के साथ मिशन मोड में कार्य करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि यह बीमारी लोगों को दिव्यांग और अक्षम बना देती है.

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