हजारीबाग : ठंड से बचने के लिए कोयले की अंगीठी जलाकर घर में सो रहे एक ही परिवार के 3 लोगों की दम घुटने से मौत हो गई। 1 की हालत गंभीर है। घटना पेलावल OP थाना क्षेत्र के रोमी गांव की है। घटना के बाद गांव में मातम छाया हुआ है।
जानकारी मिलने पर पुलिस पहुंची और सभी शवों को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। मरने वालों की पहचान रिंकू खान (35 वर्ष) और उसकी पत्नी तथा बच्चे के रूप में हुई है।
बताया जा रहा है कि रिंकू ने नया घर बनवाया था। सोमवार को नए घर के प्रवेश के लिए कार्यक्रम था। इसके लिए सभी रिश्तेदार पहुंचे थे। रविवार रात ठंड से बचने के लिए यह परिवार चूल्हा और हिटर जलाकर सो गया। चूल्हे से निकलता धुआं धीरे-धीरे पूरे घर में फैल गया। इसका पता कमरे में सो रहे लोगों को नहीं चला। कमरे से धुआं के निकलने का कोई रास्ता नहीं था। लिहाजा कमरा धीरे-धीरे गैस चैंबर में तब्दील हो गया। सोमवार सुबह जब घर का दरवाजा नहीं खुला तो आसपास के लोगों ने आवाज लगाई। गेट नहीं खुलने पर दरवाजा तोड़ा गया। तब कमरे से 3 शव बरामद किए गए। 1 व्यक्ति की स्थिति गंभीर है।
बता दें, रविवार को हजारीबाग जिले का तापमान काफी गिर गया था। न्यूनतम पारा 5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। ठंड काफी होने से लोगों को ज्यादा दिक्कत हुई।
डॉक्टरों का दावा, कार्बन मोनो ऑक्साइड से गई जान
डॉक्टरों ने बताया, ‘कोयला जलाने से कार्बन मोनो ऑक्साइड निकलती है। यह गैस सांस की नली से अंदर जाने के बाद दिमाग में खून की सप्लाई रोक देती है। इसके कारण ब्रेन हेमरेज हो सकता है। कई बार जान चली जाती है।’
डॉ. रंजीत कुमार पंडा ने कहा, ‘ठंड के दिनों में अक्सर ऐसा देखा जाता है कि लोग अंगीठी जलाकर सो जाते हैं। ऐसे कमरे में जहां हवा निकलने के रास्ते न हों। वैसी स्थिति में यह काफी खतरनाक और जानलेवा साबित हो सकता है। ठंड से बचने के लिए आग जलाकर सोना ठीक नहीं है। चूल्हा जलाते समय घर की खिड़कियां, रौशनदान और दरवाजे खोल कर रखें। इससे कमरे में वेंटिलेशन बना रहेगा।’
कार्बन मोनो ऑक्साइड कैसे डालती है असर?
डॉक्टरों के अनुसार, कार्बन मोनोऑक्साइड एक जहरीली गैस है। ऐसी किसी जगह पर जहां कोयला या लकड़ी जल रही हो और वेंटिलेशन का कोई माध्यम न हो तो सांस लेने के दौरान हम कार्बन मोनोऑक्साइड और ऑक्सीजन दोनों अंदर लेते हैं। कार्बन मोनोऑक्साइड हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन में बदल जाता है.
दरअसल, खून में मौजूद RBC, ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन मोनोऑक्साइड से पहले जुड़ती है। अगर आप किसी ऐसी जगह पर हैं जहां ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन मोनोऑक्साइड बहुत अधिक है तो धीरे-धीरे खून में ऑक्सीजन की जगह कार्बन मोनोऑक्साइड आ जाती है।
इससे शरीर के कई अहम अंगों को ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है। इससे हाईपोक्सिया की स्थिति बन जाती है, जिससे ऊतक (टिशू) नष्ट होने लगते हैं और मौत की आशंका बढ़ जाती है।