नई दिल्ली : दक्षिणी दिल्ली के रंगपुरी से दिल दहलाने वाली एक खबर है, जहां एक शख्स ने जहरीला पदार्थ खाकर अपनी चार-चार बेटियों के साथ खुदकुशी कर ली. पुलिस ने फ्लैट का ताला तोड़कर शुक्रवार को सभी शवों को बाहर निकाला. बताया गया कि चारों बेटियां दिव्यांग होने के कारण चलने-फिरने में असमर्थ थीं और पत्नी की मौत के बाद हीरालाल उनकी हालत देखकर पूरी तरह से टूट चुका था. ऐसे में उसने बेटियों को सल्फास खिलाकर खुद भी जान दे दी.
फ्लैट से आ रही थी बदबू, बिस्तर पर पड़े थे शव
पुलिस के अनुसार, शुक्रवार को हीरालाल के फ्लैट से बदबू आनी शुरू हुई. इस पर सड़क की दूसरी तरफ स्थित मकान में रहने वाले व्यक्ति ने पुलिस को फोन कर यह जानकारी दी. पुलिस जब वसंत कुंज साउथ स्थित फ्लैट पहुंची तो आसपास के लोगों ने बताया कि परिवार कई दिनों से दिखाई नहीं दिया. इसके बाद पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो अंदर से काफी बदबू आ रही थी. पुलिस टीम ने कमरे में प्रवेश किया तो पहले कमरे के बिस्तर पर हीरालाल का शव पड़ा मिला. दूसरे कमरे में चारों बेटियों के शव पड़े थे.
अब तक नहीं मिला सुसाइड नोट
पुलिस ने बताया कि दिल्ली में रहने वाले मृतक हीरालाल के बड़े भाई जोगिंदर को घटना की सूचना दी गई. पुलिस सूत्रों के अनुसार, परिवार ने सल्फास खाकर खुदकुशी की है. हालांकि, पुलिस को अभी तक सुसाइड नोट नहीं मिला है. हालांकि, बेटियों की दिव्यांगता को इस घटना की वजह माना जा रहा है. मौके से पुलिस और फोरेसिंक टीम पहुंची और सल्फास के रैपर और भोजन के नमूने एकत्र किए हैं. पुलिस अधिकारी ने बताया कि पोस्टमॉर्टम के बाद विसरा को भी जांच के लिए भेजा जाएगा.
छपरा के मशरख का रहने वाला था परिवार
मामले में पुलिस अधिकारी ने बताया कि 50 वर्षीय हीरालाल परिवार के साथ रंगपुरी गांव में किराये के मकान में रहता था. वह मूल रूप से बिहार के छपरा जिले के मशरख का रहने वाला था. पत्नी की पहले ही मौत हो चुकी थी और परिवार में चार बेटियां 18 वर्षीय नीतू, 15 वर्षीय निशि, 10 वर्षीय नीरू और 8 वर्षीय निधि थीं. हीरालाल वसंत कुंज स्थित एक अस्पताल में कारपेंटर के तौर पर काम करता था.
पत्नी की कैंसर से हुई थी मौत
हीरालाल की पत्नी सुनीता कैंसर से पीड़ित थीं. काफी इलाज के बाद भी वह बच नहीं सकीं. दंपती को पहली बेटी दिव्यांग पैदा हुई थी. स्वस्थ संतान की चाहत में तीन और बच्चियों ने जन्म लिया, लेकिन वो तीनों भी दिव्यांग थीं. इनकी देखरेख हीरालाल ही कर रहे थे. नौकरी से आते ही बच्चों की देखरेख में जुट जाता था.
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आखिरी बार 24 सितंबर को दिखा था हीरालाल
इमारत के केयरटेकर शैलेंद्र ने बताया कि हीरालाल का परिवार चौथी मंजिल पर मौजूद फ्लैट में आठ साल से रह रहा था. यह परिवार अपनी परेशानियों की वजह से लोगों से कम घुलता मिलता था. कभी भी इस परिवार की वजह से किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई थी. पुलिस के अनुसार, हीरालाल को आखिरी बार 24 सितंबर को देखा गया था. इसके बाद से कोई पता नहीं चला. बंगाली मार्केट में रहने वाले हीरालाल के भाई जोगिंदर और भाभी गुड़िया को घटना की सूचना दी तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ.
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