हरएक माता का इक्षा होता है कि उसका पुत्र दीर्घायु हो उसे जीवन मे किसी प्रकार का कोई कष्ट नही हो, वह सदा आगे बढ़े और परिवार और समाज का नाम रौशन करे। इस आशा की पूर्ति के लिए अश्विन मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी को एक महान व्रत किया जाता है। जिसमें जिएउत वाहन देवता का पूजा किया जाता है।
यह पुत्र की कल्याण की कामना से माताएं करती हैं।
प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत बच्चो के कल्याण व दीर्घायु हेतु किया जाता है। यह व्रत पूर्णरूप से निर्जला होता है। यदि व्रती बीमार हो, बृद्ध हो तो साम के समय जल ले सकती हैं।
इन्होंने बताया कि यह पूजन अश्विन मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी में होता है और व्रत का पारण नवमी तिथि जो उदयातिथि युक्त हो उसमे होना चाहिए।
इस वर्ष यह पावन पर्व 22सितम्बर 2019 को ही जीवित्पुत्रिका व्रत किया जाएगा।जिसका समय हृषिकेश पञ्चाङ्ग के अनुसार दोपहर 2बजकर40 मिनट है।
अतः इसी समय के अंदर अर्थात2:40के अंदर ही पूजन करना ठीक होगा। उदया तिथि होने के कारण पूजा दिनभर किया जा सकता है।
और दोपहर 2बजकर 40मिनट पर नवमी लगने के कारण पारण 23 सितम्बर 2019 को सुबह सूर्योदय के बाद किया जाएगा ।
उसदिन अर्थात 23सितम्बर को मातृ नवमी व दशमी तिथि दोनो श्राद्ध भी।
अतः सुबह सरपुतिया का सेवन कर के पारण करे।
आचार्य प्रणव मिश्रा
आचार्यकुलम अरगोड़ा राँची