मुंबई : क्रिकेट के मशहूर रेडियो कमेंटेटर मुरली मनोहर मंजुल का 91 साल में निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार सोमवार को मानसरोवर (जयपुर) में किया जाएगा.
हिन्दी क्रिकेट कमेंटरी के बुनियादी स्तंभ श्री मुरलीमनोहर मंजुल के अवसान की खबर अत्यंत दुखदायी है।जसदेवसिंह, स्कन्द गुप्त, मनीष देव, अनंत सेतलवाड , सुरेश सरैय्या और अब मंजुलजी के जाने से रेडियो क्रिकेट कमेंटेटर का स्वर्णिम युग गुज़र गया।इनका योगदान इतिहास याद रखेगा।
— Sushil Doshi (@RealSushilDoshi) February 26, 2024
मंजुल ने 1957 में आकाशवाणी में प्रवेश किया था. सरस कवि के तौर पर रेडियो में स्थान बनाने वाले मंजुल ने इस यात्रा के दौरान अपने नाटक और फीचर्स से पहचान बनाई थी. उस वक्त उनका खेलों से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था. हालांकि बचपन में उन्होंने अपने गृहनगर जोधपुर में स्थानीय स्तर पर मारवाड़ क्रिकेट क्लब से खुद को जोड़ा था. जॉन आर्लोट उनके प्रिय कमेंटेटर रहे. रेडियो में आने के बाद जब हिंदी में आकाशवाणी से खास तौर पर क्रिकेट का प्रसारण शुरू हुआ तो वही प्रगाढ़ता उनके काम आई.
मंजुल से पहले तक क्रिकेट कमेंट्री पैनल पर रेडियो का नियमित सरकारी कर्मचारी कोई नहीं था. सिर्फ स्टाफ के तौर पर जसदेव सिंह थे. यह वही जसदेव सिंह (क्रिकेट-हॉकी सहित विभिन्न खेलों के प्रख्यात कमेंटेटर) थे जो मंजुल के मददगार बनकर सामने आए. मंजुल ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था,’मुझे यह स्वीकारने में कोई हिचक नहीं कि क्रिकेट कमेंटेटर पैनल तक ले जाने में मेरा वह मित्र मददगार रहा.’
मंजुल ने 2004 में अधूरे मन से कमेंट्री की दुनिया से खुद को अलग कर लिया. आकाशवाणी से अपनी पीड़ा को साझा किए बगैर उन्होंने अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कमेंट्री से संन्यास ले लिया. मंजुल अपनी रचनाओं को माध्यम से भी छाए रहे. उनकी रचना ‘आखों देखा हाल’ को 1987 में भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार मिला. उनकी 2009 में लिखित ‘आकाशवाणी की अंतर्कथा’ को काफी प्रसिद्धि मिली. इसके अलावा मंजुल अपनी कविताओं और गीतों से पाठकों को लुभाते रहे.
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