Joharlive Team
16 जून 2016। बाबूलाल मरांडी ने ऑडियो क्लिप जारी की। हाई प्रोफाइल प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जारी की गई ऑडियो क्लिप के जरिये पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को मैनेज करने के लिए दबाव डालने का आरोप मुख्यमंत्री के सलाहकार अजय कुमार और तत्कालिन स्पेशल ब्रांच एडीजी अनुराग गुप्ता पर लगा। दोनो पर चुनाव आयोग के निर्देश पर जगन्नाथपुर थाने में एफआईआर भी हुई। लेकिन अब गुजरात एफएसएल की रिपोर्ट में जो बात सामने आयी है, वह चौकाने वाली है। बाबूलाल मरांडी ने जिस ऑडियो को जारी किया था, वह ऑडियो टेम्पर्ड था। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या सिर्फ एक टेम्पर्ड ऑडियो के सहारे बड़े राजनीतिक साजिश की बुनियाद रखी गयी थी।
क्या है रिपोर्ट में
ऑडियो टेप की एफएसएल रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी गई है। इस ऑडियो टेप में छेड़छाड़ की पुष्टि हुई है। गांधीनगर एफएसएल ने इस मामले में एक रिपोर्ट रांची के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी को भेजी है।
एफएसएल की रिपोर्ट में जिक्र है कि ऑडियो के बैकग्राउंड में जो आवाजें हैं, वह रूक-रूक कर हैं। आवाजों में बैकग्राउंड आवाज की अनियमितता 27 बार पायी गई है। इस मामले में कोर्ट के आदेश पर सीलबंद डीवीडी को जांच के लिए 29 मार्च 2018 को गांधीनगर एफएसएल भेजा गया था।
मूल यंत्र नहीं मिलने पर रिकॉडिंग का समय व तिथि बताना संभव नहीं
विधि विज्ञान प्रयोगशाला के तकनीकी विशेषज्ञों ने अपने ओपिनियन में यह भी बताया है कि मूल यंत्र के बगैर रिकॉर्डिंग की तिथि व समय बताना संभव नहीं है। पुलिसिया जांच के लिए रिकॉर्डिंग की तिथि और समय जानना महत्वपूर्ण तथ्य है, लेकिन मूल यंत्र केस के अनुसंधानकर्ता को अबतक नहीं मिल पाया है। अनुसंधानकर्ता ने इसके लिए योगेंद्र साव को पूर्व में नोटिस भी भेजा था।
योगेंद्र साव से दुबारा पूछताछ का आदेश मांगा
केस के अनुसंधानकर्ता जगन्नाथपुर थानेदार अनूप कुमार कर्मकार ने केस के गवाह योगेंद्र साव से बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा रांची में जाकर दुबारा पूछताछ की अनुमति मांगी है। रिकॉर्डिंग का मूलयंत्र योगेंद्र साव के पास ही है।
कैसे जुड़ती हैं राजनीतिक साजिश की कड़ियां
विधानसभा के सचिव ने भी कहा था – वोटिंग के दिन किसी ने शिकायत नहीं की
राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में जगन्नाथपुर पुलिस ने झारखंड सरकार के अवर सचिव रैंक के अधिकारी विनय कुमार का भी बयान लिया था। विनय कुमार राज्यसभा चुनाव के दौरान विधानसभा सचिव के पद पर थे। गृह विभाग के द्वारा इस मामले में दायर हलफनामे के मुताबिक, विनय कुमार ने अपने बयान में किसी भी मतदाता विधायक के द्वारा चुनाव के दिन शिकायत अंकित कराए जाने की बात से इंकार किया था। हलफनामे में अंकित विनय कुमार के बयान में जिक्र है कि चुनाव के दिन विधायक निर्मला देवी या अन्य किसी मतदाता ने यह शिकायत नहीं थी कि उन्हें मतदान प्रक्रिया में भाग लेने से रोका गया या प्रभावित करने का प्रयास किया गया।
चमरा लिंडा ने आयोग को बताया था मतदान नहीं देने का वजह
झामुमो के विशुनपुर विधायक चमरा लिंडा 11 जून 2016 को मतदान में शामिल नहीं हो पाए थे। चमरा लिंडा ने चुनाव आयोग को दिए लिखित बयान में बताया था कि वह बीते 12 सालों से डायबिटिज की बीमारी से जुझ रहे हैं। राज्यसभा चुनाव के पहले वह दिल्ली, चेन्नई समेत कई जगहों से इलाज कराकर लौटे थे। चुनाव के दो दिन पहले 9 जून को उनकी तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके बाद वह आर्किड अस्पताल में भर्ती हुए थे। 10 जून को अस्पताल में भर्ती होने की जानकारी उन्होंने हेमंत सोरेन को दी थी। उसी शाम अस्पताल में पुलिस के लोग आए और बताया कि उनके खिलाफ पुराने कांड में वारंट है। जिसके बाद पार्टी के स्तर से 11 जून को वोटिंग के दिन कोर्ट से वोट में जाने की इजाजत के लिए आवेदन दिया गया। चमरा लिंडा के बयान में जिक्र है कि कोर्ट से समय पर इजाजत नहीं मिल पाने की वजह से वह वोट नहीं दे पाए हैं। निर्वाचन आयोग को दिए बयान के आधार पर अब नए सिरे से चमरा लिंडा बयान लिया जाएगा
बाबुलाल के मुख्य गवाह योगेंद्र साव का हमेशा जांच में रहा असहयोग
योगेंद्र साव से दर्जनों बार केस के अनुसंधानकर्ता अनूप कुमार कर्मकार ने मूलयंत्र की मांग की। पहले योगेंद्र नोटिस लेने से बचते रहे। इसके बाद उन्होंने मूलयंत्र देने से भी इंकार कर दिया। योगेंद्र जेल गए तो केस के अनुसंधानकर्ता ने फिर से मूलयंत्र की मांग की, लेकिन योगेंद्र अबतक मूलयंत्र देने से बच रहे हैं।