रांची: शहर के अशोक नगर इलाके से एक फर्जी महिला आईएएस अफसर को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. रांची के सबसे वीवीआईपी इलाकों में शुमार अशोक नगर कॉलोनी में मध्य प्रदेश की रहने वाली मोनिका ने खुद को 2020 बैच की आईएएस अफसर बता घर किराए पर ले रखा था. खुद को इलाके में आईएएस अफसर साबित करने के लिए मोनिका ने बकायदा बॉडीगार्ड, सरकारी कार और रसोइया भी रखा था.ए पर ले रखा था। खुद को इलाके में आईएएस अफसर साबित करने के लिए मोनिका ने बकायदा बॉडीगार्ड, कार और रसोईया भी रखा था।
क्या है मामला
रांची का अशोक नगर वैसा इलाका है, जिसमें अधिकांश घर आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का है. झारखंड पुलिस के कई बड़े अधिकारी भी अशोक नगर में रहते हैं. इसी अशोक नगर रोड नंबर एक के मकान संख्या C/06 के बाहर अचानक आईएएस मोनिका का बोर्ड लग जाता है. घर के बाहर बॉडीगार्ड, सरकारी वर्दी में ड्राइवर, सरकारी गाड़ी, जिसमें असिस्टेंट कलेक्टर का बोर्ड लगा हुआ था.
डॉक्टर डीके राय के मकान में फर्जी आईएएस अफसर
C/06 मकान डॉक्टर डीके राय का है. उन्होंने मोनिका नाम की एक युवती को अपना घर किराए पर दिया था, जिसने यह बताया था कि वह प्रशिक्षु आईएएस अफसर हैं और फिलहाल उसकी तैनाती जमशेदपुर में असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में है. डॉ डीके राय को मोनिका की गतिविधियां संदिग्ध लगी. कई बार पूछताछ करने पर मोनिका उन्हें यही बताती कि फिलहाल वह छुट्टी पर हैं, इसलिए जमशेदपुर नहीं जा रही हैं. शक होने पर मामले की जानकारी अरगोड़ा थाने को दी गई.
जांच में निकली फर्जी आईएएस
अरगोड़ा थाना को यह सूचना मिली थी कि अशोक नगर के मकान संख्या C/06 में भारतीय प्रशासनिक सेवा 2020 बैच की अधिकारी बनकर एक युवती रह रही है, लेकिन वह भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी प्रतीत नहीं होती है. अक्सर युवती अपने साथ दो-तीन लोगों को लेकर घूमती है और उनके द्वारा इस्तेमाल की जा रही गाड़ी में झारखंड सरकार का लोगो भी लगा है, लेकिन उसका आचरण संदिग्ध है.
पुलिस को देखते ही घरबा गई मोनिका
मामले की जानकारी मिलने पर अरगोड़ा थाना प्रभारी ने विनोद कुमार ने अपने वरीय अधिकारियों को पूरे मामले की जानकारी दी और फिर मामले की जांच शुरू कर दी. 2 दिन पुलिस के रेकी करने पर यह साबित हो गया कि मोनिका आईएएस नहीं हैं, बल्कि आईएएस अफसर बनने का ढोंग कर रही हैं, जिसके बाद पुलिस की टीम महिला पुलिसकर्मियों के साथ मोनिका के घर पहुंच गई. पुलिस को देखकर मोनिका घबरा गई. जब पुलिसकर्मियों ने उससे पूछा कि आप की पोस्टिंग कहां है तो उसने बताया कि वह 2020 बैच की आईएएस अधिकारी हैं और वर्तमान में असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में जमशेदपुर में पदस्थापित हैं.
कोई पहचान पत्र नहीं दिखा पाई
मौके पर मौजूद महिला पुलिसकर्मियों ने मोनिका से पहचान पत्र मांगा, लेकिन वह शिवाय आधार कार्ड के कोई भी पहचान पत्र नहीं दे पाई, जिसके बाद पुलिस वालों ने उससे सब कुछ साफ-साफ बताने को कहा. पुलिस की दबिश की वजह से मोनिका टूट गई और उसने पूरी कहानी सामने रख दी.
IAS की कर रही थी तैयारी
मोनिका के अनुसार वह दिल्ली स्थित एक कोचिंग सेंटर में आईएएस की तैयारी कर रही है, लेकिन वह खुद को आईएएस अधिकारी के रूप में ही अपने आप को लोगों के सामने पेश करती थी, ताकि लोग यह समझे कि वह सचमुच आईएएस है, इसके लिए उसने किराए के मकान के गेट पर भी आईएएस का बोर्ड लगा दिया था. बॉडीगार्ड के लिए उसने एक रिटायर आर्मी के जवान को रखा था. मोनिका ने अपना ड्राइवर और रसोइया भी रखा था, ताकि आसपास के लोग यही समझे कि वह एक आईएएस अधिकारी है. मोनिका के पास से झारखंड सरकार का फर्जी लोगों, डिप्टी कलेक्टर का फर्जी लेटर पैड बरामद किया गया है. उसने आईएएस अधिकारी का फर्जी आई कार्ड भी बनवा रखा था, लेकिन उसने पुलिस के डर से उसे फेंक दिया था.
बॉडीगार्ड-ड्राइवर बने पुलिस के गवाह
मोनिका ने जिस बॉडीगार्ड और ड्राइवर को अपने साथ रखा था. उन्हें भी यह पता नहीं था कि वह फर्जी आईएएस अधिकारी है. दोनों ने पुलिस के सामने यह बयान दिया है कि उन्हें एक आईएएस अधिकारी के तौर पर फोन किया गया था, जिसके बाद दोनों ने नौकरी ज्वाइन की थी. फिलहाल बॉडीगार्ड ड्राइवर दोनों पुलिस के गवाह बन गए हैं.
जांच कर रही पुलिस
अरगोड़ा थाना प्रभारी विनोद कुमार ने बताया कि फर्जी आईएएस बनकर रांची आने की वजह को लेकर महिला थाने में पकड़ी गई मोनिका से पूछताछ चल रही है, पूछताछ के बाद यह खुलासा होगा कि आखिर वह किस सुनियोजित साजिश के तहत अशोक नगर इलाके में फर्जी आईएएस अधिकारी बनकर रह रही थी, साथ ही उसके साथ और कौन-कौन लोग हैं.