रांची: हीमोफीलिया के मरीजों को इंटरनल ब्लीडिंग होती है. ऐसे में उन्हें असहनीय दर्द होता है. और समय पर उन्हें फैक्टर न लगाया जाए तो ब्लीडिंग बढ़ जाती है और जान जाने का भी खतरा होता है. इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग की ओर से राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स और सदर में फैक्टर की क्राइसिस हो गई है. जिससे कि हीमोफीलिया मरीजों की जान पर आफत बन आई है. अगर जल्द ही मरीजों को फैक्टर उपलब्ध नहीं कराया गया तो मरीजों की जान भी चली जाएगी. इसे लेकर हीमोफीलिया सोसायटी के सेक्रेटरी संतोष कुमार जायसवाल ने स्वास्थ्य विभाग के सचिव को पत्र लिखा है. साथ ही यह भी पूछा है कि मरीजों की मौत फैक्टर के अभाव में होती है तो इसके लिए जिम्मेवार कौन होगा. संतोष जायसवाल ने बताया कि कुछ फैक्टर सोसायटी के पास होते है जो गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए दिए जाते है.

क्या लिखा है पत्र में

संतोष जायसवाल ने अपने पत्र में लिखा है सचिव महोदय मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि हीमोफीलिया की जीवन रक्षक दवा फैक्टर-8 (1000iu, 500iu, 250iu), फैक्टर-IX (500iu, 600iu, 1200 iu), Vwd Fector 250iu 500iu, फैक्टर-Viii Mimic 30mg,evm 60mg वर्तमान समय में राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान रांची में नही है. जिससे रांची के साथ अन्य जिलों के गंभीर रोगियों को जीवन रक्षक फैक्टर नहीं मिल रहा है. जबकि रिम्स सभी जिलों से गंभीर मरीज इलाज के लिए आते है. फ़ैक्टर उपलब्ध नहीं होने से उनका समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है. रिम्स प्रशासन फ़ैक्टर उपलब्ध कराने के लिए JMHIDPCL झारखंड को लिख चुका है. लेकिन JMHIDPCL झारखंड अभी तक फ़ैक्टर-8 उपलब्ध नहीं कराया है.

कई सेंटरों में फैक्टर की कमी

इसके अलावा SNMMCH पलामू, मेडिकल कालेज दुमका में फैक्टर-8 तो उपलब्ध है. लेकिन फैक्टर-IX, फैक्टर-Viii Mimic 30mg 60mg, फैक्टर-Viii 500iu, 250iu उपलब्ध नहीं है. जबकि वहां कई मरीज फैक्टर-IX के भी है. सीएस और डीपीएम पलामू और दुमका को तत्कालीन प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग की ओर से निर्देश के बावजूद अभी तक फैक्टर उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: रामलला के मंदिर के लिए मूर्ति का हुआ चयन, अरुण योगीराज की बनाई प्रतिमा होगी स्थापित

Share.
Exit mobile version