JoharLive Desk
नयी दिल्ली : एक सितम्बर से लागू नये मोटर अधिनियम में भारी जुर्माने को लेकर चौतरफा छिड़ी बहस के बीच सड़क परिवहन शिक्षा से जुड़े एक विशेषज्ञ का मानना है कि यातायात पुलिस को प्रशासनिक की बजाय रोड़ पर वाहन चलाते वक्त किए जाने वाले उल्लंघनों पर ध्यान देना चाहिए।
सड़क सुरक्षा पर शिक्षा देने वाले इंस्टीट्यूट रोड़ ट्रैफिक एजूकेशन (आईआरटीई) के अध्यक्ष डॉ रोहित बलूजा ने गुरुवार को यहां बताया कि एक अध्ययन के अनुसार 2017 में दिल्ली में सड़क पर वाहन चलाने वालों ने रोजाना 20 करोड़ से अधिक बार यातायात नियमों का उल्लंघन किया। इनमें से करीब 26 प्रतिशत यातायात उल्लंघन सड़कों की खराब हालत और यातायात प्रणाली की खामियों के कारण हुए। उन्होंने कहा कि 2007 में इस संबंध में किए गए अध्ययन में रोजाना करीब 14 करोड़ 60 लाख बार यातायात नियमों का चालकों ने उल्लंघन किया।
डॉ बलूजा ने बताया कि पूरे देश की बात की जाये तो तकरीबन 6.2 अरब बार रोजाना सड़क पर वाहन चालकों ने नियमों का उल्लंघन किया जिसमें से करीब डेढ़ करोड़ सड़कों की खराब हालत और यातायात प्रणाली की त्रुटि की वजह से हुए।
उन्होंने सड़क सुरक्षा बेहतर बनाने के उद्देश्य से हाल में मोटर वाहन नियम कड़ा बनाने के लिए यातायात उल्लंघन पर भारी जुर्माने के प्रावधान पर कहा कि विश्व भर में कुशल और वैज्ञानिक ढंग से यातायात प्रबंधन प्रणाली पर जोर दिया जाता है। इसमें इंजीनियरिंग सोल्यूशंस, चालक को प्रशिक्षण और सड़क पर चलने वालों को जागरुक बनाना आदि शामिल है जबकि देश का मौजूद मोटर वाहन कानून इसके ठीक विपरीत है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और देश के अन्य हिस्सों में यातायात पुलिस का ध्यान सड़क पर वाहन चलाते समय किए जा रहे उल्लंघनों पर नहीं होकर प्रशासनिक उल्लंघन जैसे ड्राइविंग लाइसेंस, प्रदूषण सर्टिफिकेट समेत अन्य कागजात नहीं होने पर अधिक है। उन्होंने कहा कि इससे ऐसा लगता है कि यातायात पुलिस यातायात को नियंत्रित करने और सड़क पर वाहन चलाने के समय किए जा रहे उल्लंघनों की बजाय आसान रास्ते पर काम कर रही है।
वर्ष 2017 में उच्चतम न्यायालय गठित सड़क सुरक्षा समिति ने पुलिस विभाग को निर्देश दिया थे कि वह देश भर में गति, लाल बत्ती उल्लंघन, वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल और गलत दिशा में गाड़ी चलाने को खतरनाक श्रेणी में डाले और जुर्माना बढ़ाये। दिल्ली यातायात पुलिस ने इन निर्देशों को सही रूप में अपनाते हुए 2017 में यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर 64.8 करोड़ रुपए की जुर्माना राशि वसूल की और सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या 1584 रही। एक साल बाद जुर्माने की राशि 105 करोड़ रुपये पर पहुंच गयी लेकिन मृतकों की संख्या बढ़कर 1690 हो गई। इससे स्पष्ट होता है कि अधिक जुर्माना लगाने से सड़क पर होने वाली जानलेवा दुर्घटनाओं में कमी के बारे में सोचना गलत है।
उन्होंने कहा कि नये कानून में भारी राशि के जुर्माने के प्रावधान से भ्रांतियां, भ्रष्टाचार और जनता को परेशान किए जाने के मामले बढ़ने की आशंका है। भारी जुर्माने के कारण प्रत्येक चालक कानून को लागू कराने वाली एजेंसियों का ‘एटीएम’ बन जायेगा।