रवि
रांची : झारखंड में लगभग 90 पहाड़ों का अस्तित्व खतरे में है. वहीं, 100 छोटे-बड़े खदानों का नक्शा भी नहीं मिल पा रहा है. इन खदानों का अब तक माइनिंग प्लान ही नहीं बना. उरमा कोल ब्लॉक, मौर्या कोल ब्लॉक सहित छोटे-बड़े 62 खदान जांच के दायरे में हैं. इसमें कई अफसर भी जांच के दायरे में आ गए हैं. इस मामले को लेकर पहले भी एफआइआर दर्ज कराई जा चुकी है. अवैध खनन के कारण पिछले 23 साल में करीब 50 पहाड़ ही गायब हो चुके हैं. अवैध क्रशर और पत्थर खदान के कारण यह सबकुछ हुआ है.
6000 करोड़ की सालाना अवैध माइनिंग
झारखंड में हैरान करने वाली बात यह है कि हर साल 6000 करोड़ की अवैध माइनिंग होती है. ईडी की जांच में इस बात का खुलासा भी हो चुका है. पिछले 23 साल से झारखंड में योजनावद्ध तरीके से अवैध माइिनंग को अंजाम दिया जाता रहा. जिला खनन पदाधिकारियों ने ईडी केा जो जानकारी दी है, वह चौकाने वाले है. ईडी की पूछताछ में डीएमओ ने बताया है कि हर सप्ताह अवैध माइनिंग का पैसा रांची पहुंचता था. छह जिलों के लगभग 60 पहाड़ों का अस्तित्व खतरे में है. धनबाद, गिरिडीह और पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम में भी कई पहाड़ों को क्षत विक्षत कर दिया गया. कुछ को तो सरकार ने लाइसेंस दिया है, बाकी अवैध हैं. पत्थर माफियाओं ने सबसे अधिक लातेहार, साहेबगंज, पाकुड, सरायकेला, हजारीबाग में पहाड़ों को नुकसान पहुंचाया. कोडरमा में पांच, गुमला में चार और लोहरदगा में तीन पहाड़ पूरी तरह खत्म हो गये. संताल परगना में पाकुड़ और साहेबगंज में भी कुछ पहाड़ गायब हो गये.
राजमहल पर्वल श्रृंखला का अस्तित्व खतरे में
हैरान करने वाली बात यह है कि राजमहल पर्वत शृंखला की एक दर्जन पहाड़ियां गायब हो गई हैं. गदवा-नासा, अमजोला, पंगड़ो, गुरमी, बोरना, धोकुटी, बेकचुरी, तेलियागड़ी, बांसकोला, गड़ी, सुंदरपहाड़ी, मोराकुट्टी पहाड़ियों का अस्तित्व पत्थर माफिया ने अवैध खुदाई कर खत्म कर दिया. राजमहल पर्वत शृंखला पर खनन के लिए 185लोगों को लीज मिला है. सीमांकन की जांच नहीं करने से आवंटित क्षेत्र से कई गुना अधिक खनन हो रहा है.
लीजधारकों के पास हजारों करोड़ बकाया
आयरन ओर के खदानों के लीजधारकों के पास लगभग 2500 करोड़ का बकाया है. इन लीज धारकों ने खनन की शर्तों का अनुपालन नहीं किया. आयकर रिटर्न और वाणिज्यकर भी नहीं चुका है. फॉरेस्ट एक्ट का भी उल्लंघन किया गया.
ये पहाड़ हो गए गायब
लोहरदगा : ओएना टोंगरी, उमरी और अरकोसा, कोडरमा : डोमचांच के मसनोडीह, ढाब, पडरिया, उदालो व सिरसिरवा.
लातेहार : नरैनी, कूरा, पॉलिटेक्निक, सोतम, ललगड़ी, खालसा, बारियातू, डेमू, बानपुर, दुगिला, तेहड़ा (सभी लातेहार अंचल में), सधवाडीह, लंका, कोपे, जेरुआ (सभी मनिका में), राजदंडा, जोभीपाट, कुकुदपाट, चोरमुड़ा (महुआडांड़), द्वारसेनी, बारेसांढ़, रिझू टोंगरी, धांगर टोंगरी (सभी गारू).
गुमला : जैरागी (डुमरी), सेमरा (पालकोट), निनई (बसिया), बरिसा, करौंदी व करमडीपा (गुमला), सेमरा (पालकोट), माझांटोल (रायडीह).
साहेबगंज : सकरी गली के गड़वा पहाड़, पंगड़ो पहाड़, अमरजोला पहाड़ (सभी राजमहल में), नासा पहाड़ , धोकुटी और गुरमी पहाड़ी (सभी राजमहल में), पतना प्रखंड का बोरना पहाड़ और महादेवगंज, बिहारी, कोदरजन्ना, सकरीगली, महाराजपुर स्थित पहाड़.
हजारीबाग : करमाली, सिझुआ, नारायणपुर, बेड़म, कुबरी (सभी टाटीझरिया), महावर व असिया (इचाक), शाहपुर,आराभुसाई (कटकमसांडी), जमनीजारा व इटवा (विष्णुगढ़), देवरिया (सदर/दारू), सोनपुरा व लाटी (पदमा), साड़म व डुमरौन (इचाक),बानादाग (कटकमसांडी), मुरुमातू (टाटीझरिया), बभनवै, शीलाडीह, रोला (सदर/दारू) और दोनयकला व चमेली.
लोहरदगा : बगड़ू (किस्को) व कोरांबे (सेन्हा).
कोडरमा : चंचाल पहाड़ (डोमचांच).
पलामू : विशुनपुरा पहाड़ (नौडीहा), मुनकेरी पहाड़ (छत्तरपुर), सेमरा (चैनपुर), खोहरी (चैनपुर).
चतरा : चनकी़, चोपारी, गटमाही, कुरखेता, चलला के पाली, पिपरा, दंतकोमा (सभी हंटरगंज), होंहे, कुडलौंगा (टंडवा), आरा पहाड़ी, कुलवा (चतरा), सपाही पहाड़ी (सिमरिया), अहिरपुरवा (प्रतापपुर).
लातेहार : तपा (लातेहार), सोहरपाट (महुआडांड़), चरवाडीह व बकोरिया (मनिका), बड़की पहाड़ी.
पलामू : बुढ़ीबीर पहाड़, चोटहासा पहाड़, करसो पहाड़ी (सभी चैनपुर), मुकना, गानुथान, गोरहो, सलैया (छत्तरपुर नौडीहा इलाके में), महुअरी, रसीटांड, सरसोत (हरिहरगंज).
सिमडेगा: कसडेगा पहाड़, लाघाघ, जलडेग स्थित सिहलंगा, मुर्गीकोना, करमापानी, केरसाई स्थित रंगाटोली आलू पहाड़, किनकेल पहाड़.