Joharlive Team
रांच। राजधानी के लोअर बाजार थाना क्षेत्र में पुरानी पुलिस लाइन के समीप स्थित पुलिस गेस्ट हाउस में 12 अगस्त को 14 वर्षीया छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म किये जाने के मामले में अनुसंधान के दौरान लापरवाही बरती गयी है। अनुसंधान के दौरान लापरवाही बरतने की वजह से मामले में केस से जुड़े साक्ष्य भी नष्ट हो गये हैं। इस बात का खुलासा तब हुआ, जब प्रभारी डीजीपी के निर्देश पर रांची रेंज के डीआईजी अखिलेश कुमार झा और दूसरे पुलिस पदाधिकारियों ने इस केस की समीक्षा की। समीक्षा के दौरान पाया गया है कि पुलिस गेस्ट हाउस के जिस कमरे में छात्रा के साथ रेप हुआ था. घटना के एक महीना बाद पुलिस उस कमरे में जांच के लिए पहुंची। कमरे के बेड में घटना के दिन का चादर भी बेड पर ही पड़ा हुआ था। लेकिन पुलिस के पहुंचने से एक दिन पहले बेड का चादर बदल दिया गया था। लेकिन इस अवधि में चादर जप्त कर एफएसएल के पास नहीं भेजने की वजह से घटना से जुड़े साक्ष्य नष्ट और बर्बाद हो गये। इसी तरह से पुलिस ने अनुसंधान के दौरान नाबालिग का मेडिकल जांच तो करवाया, लेकिन पुलिस ने उसके द्वारा घटना के दिन पहने गये कपड़े को एफएसएल से जांच करवाने के लिए जप्त नहीं किया। जिसके कारण भी घटना से संबंधित साक्ष्य नष्ट हो गये। इसके अलावा घटना के मुख्य आरोपी विपुल जिसे पूर्व में पुलिस नाबालिग के अपहरण के आरोप में जेल भेज चुकी है। पुलिस ने उसका भी मेडिकल जांच रेप से संबंधित साक्ष्य एकत्र करने के लिए नहीं करवाया था। अब पुलिस के पास इस घटना को वैज्ञानिक रूप से स्थापित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है। क्योंकि आरोपी विपुल का साधारण मेडिकल जांच हुआ था। इसलिए घटनास्थल से अब विपुल का डीएनए बरामद करने के लिए पुलिस के पास कोई उपाय नहीं है. इसके अलावा भी पुलिस ने वैज्ञानिक अनुसंधान के बिंदु पर कुछ अन्य लापरवाही भी बरती है। अनुसंधान के मामले में लापरवाही बरतने की बात को सीनियर पुलिस अधिकारियों ने भी गंभीरता से लिया है। मामले में साक्ष्य नष्ट करने वाले पुलिस अफसरों के खिलाफ साक्ष्य नष्ट करने के आरोप में कार्रवाई की जा सके। इसपर भी पुलिस अधिकारी विचार कर रहे हैं। हालांकि अभी इस पर कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। मामले में अनुसंधानकर्ता के अलावा रांची जिला के सीनियर पुलिस अधिकारियों के स्तर से भी अनुसंधान में लापरवाही बरतने की बात सामने आ रही है। क्योंकि घटना घटना के एक माह बीत जाने के बावजूद सीनियर अधिकारियों के स्तर केस के अनुसंधानकर्ता को कोई दिशा निर्देश नहीं दिया गया था। एक तरफ से इस केस की मॉनिटरिंग भी सीनियर अधिकारियों के स्तर नहीं की गयी थी. उल्लेखनीय है कि 12 अगस्त को नाबालिग छात्रा से पुलिस गेस्ट हाउस में घटना घटी थी। इसके बाद नाबालिग डालटेनगंज अपने परिचित के पास चली गई थी। जिसके कारण घटना की असली जानकारी उसके पिता को भी नहीं मिल सकी थी उन्होंने 13 अगस्त को अपनी बेटी के अपहरण का केस लोअर बाजार थाने में दर्ज करवाया था। पुलिस इस अपहरण केस में पूर्व में विपुल और करण नामक युवक को न्यायिक हिरासत में जेल भेज चुकी है. वहीं पुलिस इस केस में एक एएसआई राजकुमार शर्मा को जेल भेज चुकी है। नाबालिक के साथ रेप की पुष्टि तब हुई थी जब 18 अगस्त को सीडब्ल्यूसी ने पीड़ित नाबालिग का बयान लिया था।