बहुत ही दुर्लभ योग का संयोग है इस बार का छठ पर्व

छठ महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र माह और दूसरा कार्तिक मास में इस साल चैती छठ पर्व 25 मार्च 2023, शनिवार को नहाय- खाय से प्रारंभ होकर 28 मार्च, मंगलवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होगा।

चैती छठ का महत्व :-
चैती छठ की सबसे खास बात यह है कि यह व्रत चैत्र नवरात्र में शुरू होती है। नहाय खाय के दिन देवी के कूष्मांडा के रूप की पूजा होती है। खरना के दिन कुमार कार्तिकेय की माता देवी स्कंद माता की पूजा होती है। संध्या अर्घ्य के दिन माता कात्यायनी की पूजा होती है और प्रातः अर्घ्य में माता काल रात्रि की इसलिए चैत्र नवरात्रि के दौरान जो श्रद्धालु चैती छठ का व्रत रखते हैं उन्हें छठ मैय्या के साथ इन देवियों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत से बल, आरोग्य, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथानुसार, छठी मैय्या को भगवान सूर्य की बहन कहा जाता है। मान्यता है कि छठ महापर्व में छठी मैय्या व भगवान सूर्य की पूजा करने से छठी मैय्या प्रसन्न होती हैं।
महाभारत काल से हुई थी छठ पर्व की शुरुआत। इस पर्व को सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके शुरू किया था। कहा जाता है कि कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वो रोज घंटों तक पानी में खड़े होकर उन्हें अर्घ्य देते थे। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने। आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही परंपरा प्रचलित है। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से घर में सुख-शांति और संवृद्धि आती है। संतान की कामना करने वाली महिलाओं के लिए यह व्रत उत्तम माना गया है।

चैती छठ पर बनने वाले शुभ योग :-

चैती छठ पर खरना दिन यानी 26 मार्च को कृतिका नक्षत्र होगा और साथ में प्रीति एवं रवियोग रहेगा। प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा ने बताया कि 27 मार्च को आयुष्मान योग, रोहिणी नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग में अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा जबकि 28 मार्च को मृगशिरा नक्षत्र, सौभाग्य और सर्वार्थ सिद्धि योग में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती पुण्य प्राप्त करेंगे।

छठ पूजा की तिथियां
25 मार्च शनिवार – नहाय-खाय से प्रारंभ
26 मार्च रविवार – खरना (खीर भोजन)
27 मार्च सोमवार – सूर्य देव की संध्या अर्घ्य
28 मार्च मंगलवार – सूर्य देव का प्रातः अर्घ्य
अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त
संध्या अर्घ्य : – 06 02 साम
सूर्योदय का प्रातः अर्घ्य – 05 48 सुबह।

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