रांची: ED की तरफ से जल्द ही छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट से जुड़े लोगों पर कार्रवाई की जायेगी. इडी की तरफ से छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग के कई ठिकानों पर छापेमारी जारी है. छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) से जुड़े आइआरएस सेवा के अधिकारी एपी त्रिपाठी की नियुक्ति और अन्य मामलों पर इडी तफ्तीश में जुड़ी है. बताते चलें कि छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) को ही झारखंड में नयी उत्पाद नीति लागू करने के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया था. राज्य में नयी उत्पाद नीति भी बनी. इसके बाद छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट से जुड़े कई लोग और कंपनियां भी झारखंड आ गयीं. इसमें सिद्धार्थ सिंघानियां के सुमित फैसिलिटिज प्राइवेट लिमिटेड का भी नाम शामिल है. सुमित फैसिलिटिज फिलहाल राज्य के 10 जोन में से चार से अधिक जोन में खुदरा शराब की दुकानों पर प्लेसमेंट एजेंसी के रूप में काम कर रही है. इसको लेकर ही इडी ने झारखंड में भी अपनी कार्रवाई करने की रूपरेखा तैयार कर ली है.
राज्य में सीएसएमसीएल की अनुशंसा पर लागू मई 2022 में नयी उत्पाद नीति लागू की गयी थी. नयी उत्पाद नीति लागू होने के बाद सुमीत फैसिलिटीज, ए2जेड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, प्राइम वन और इगल हंटर नामक प्लेसमेंट एजेंसी का चयन किया गया. इन एजेंसियों के द्वारा ही राज्य में 1580 से अधिक खुदरा शराब दुकानों के जरिये विदेशी ब्रांड के शराब उपलब्ध कराये जा रहे हैं. इन कंपनियों को ही राजस्व वसूली का जिम्मा दिया गया है. 2022-23 के लिए 25 सौ करोड़ रुपये की वसूली का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है.
इस लक्ष्य के बाबत 15 दिसंबर 2022 तक 1300 करोड़ रुपये से अधिक की राजस्व वसूली की गयी थी, जो लक्ष्य से काफी कम था. सरकार की एजेंसी झारखंड स्टेट बीभरेज कारपोरेशन लिमिटेड की तरफ से लक्ष्य से पीछे रहने के लिए चारों प्लेसमेंट एजेंसियों की बैंक गारंटी जब्त कर ली गयी थी. इन प्लेसमेंट एजेंसियों को नौ फीसदी की हिस्सेदारी के आधार पर राजस्व वसूली का जिम्मा दिया गया था. इतना ही नहीं तीन थोक वक्रेता कंपनियों के पैसे भी सरकार की ओर से जब्त किये गये, जो राज्य में शराब के प्रीमियम ब्रांड उपलब्ध कराने में असमर्थ रहे थे.
जानकारी के अनुसार झारखंड में शराब सिंडिकेट को उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के दागी अफसरों का खुला समर्थन मिल रहा है. इनमें सहायक आयुक्त स्तर के कई अधिकारी हैं, जिन्हें राजधानी रांची, बोकारो, धनबाद, कोडरमा, पलामू, बोकारो तथा अन्य जिलों की जवाबदेही दी गयी है. इन अधिकारियों के द्वारा अवैध शराब की जब्ती की सूची, उसके लेबल की प्रयोगशाला में जांच कराने, जब्त किये गये बॉटल की सैंपलिंग, ट्रेड मार्क का स्टीकर और अन्य की जांच भी नहीं की जा रही है.
बताते चलें कि खूंटी समेत रांची में मिलावटी और अवैध शराब की कई खेप लगातार बरामद की जा रही है. इसके अलावा रांची में दूसरे राज्यों से लाकर राजधानी के कई बार में महंगी शराब बेचने के आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया था, पर अधिकारियों की तरफ से जब्त की गयी महंगी शराब का ब्योरा अब तक उपलब्ध नहीं कराया गया. इन सभी मामलों पर इडी के अधिकारी नजर बनाये हुए हैं. ऐसे सभी अधिकारियों पर इडी को लगातार शिकायतें भी मिल रही हैं.
इतना ही नहीं झारखंड में सत्ता के गलियारे तक सिंडिकेट की धमक को भी तलाशा जा रहा है. इडी के अधिकारियों ने यह भी पता किया है कि कैसे एक बड़े राजनीतिक दल के नेता के बेटे और उत्पाद विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध शराब के कारोबारियों पर लगाम नहीं लग पा रही है. सिंडिकेट से जुड़े लोगों और अधिकारियों की शिकायत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उत्पाद मंत्री जगरनाथ महतो से भी की गयी है. सरकार की तरफ से अवैध शराब की बक्री और जब्त शराब को लेकर मालखाने में जब्त शराब के भंडारण को लेकर उत्पाद उपायुक्त (मुख्यालय) और सहायक आयुक्त स्तर के अधिकारियों की कमेटी भी बनी है. पर यह समिति जांच के नाम पर औपचारिकताओं तक ही सीमित है.