बदलते लाइफस्टाइल के कारण हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और तनाव की वजह से कई प्रकार की बीमारियां होती हैं. इनमें हार्ट और किडनी डिजीज  कॉमन हैं. लेकिन अब एक नई स्टडी में तापमान यानी टेम्प्रेचर में बदलाव और किडनी रोग के बीच संबंधों का पता चला है. इसके मुताबिक किडनी रोगों के कारण अस्पतालों में भर्ती होने वाले 7.4 प्रतिशत मामले तापमान बढ़ने की वजह से होते हैं. इस स्टडी का निष्कर्ष ‘द लैंसेट रीजनल हेल्थ-अमेरिका’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

यह स्टडी साल 2000 से 2015 के बीच ब्राजील में बड़े ही व्यापक पैमाने पर की गई है. ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी के प्लैनेटरी हेल्थ सेंटर के प्रोफेसर युमिंग गुओ के नेतृत्व में की गई स्टडी में पहली बार बढ़ते तापमान और किडनी रोग के रिस्क की गणना की गई है. इसके लिए ब्राजील के 1816 शहरों और कस्बों में स्थित अस्पतालों में भर्ती होने वाले लोगों के डाटा जुटाए गए.

प्रसिद्ध मेडिकल पत्रिका द लैंसेट में साल 2017 में प्रकाशित एक आर्टिकल में बताया गया था कि किडनी संबंधी रोग पूरी दुनिया में पब्लिक हेल्थ के लिए चिंता का कारण बन रहे हैं. उस साल वर्ल्ड में करीब 26 लाख लोगों की मौत किडनी की बीमारी की वजह से हुई थी. खास बात यह कि किडनी रोग से मौतों में पिछले दशक की तुलना में 26.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई और इस बात के संकेत मिले कि इस वृद्धि में तापमान बढ़ने का भी कुछ योगदान रहा.

किन लोगों पर रहा सबसे ज्यादा इफैक्ट?
इस स्टडी में किडनी रोग से पीड़ित 27 लाख 26 हजार 886 लोगों के रिकॉर्ड को शामिल किया गया. प्रोफेसर गुओ के अनुसार, दैनिक औसत तापमान में प्रति एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से किडनी रोग का प्रसार भी एक प्रतिशत बढ़ा. इसका सबसे ज्यादा असर महिलाओं, 4 साल से कम उम्र के बच्चों और 80 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों पर हुआ.

किन देशों पर खास देना जरूरी?
रिसर्चर्स ने सुझाव दिया है कि जलवायु परिवर्तन संबंधी सरकारी नीतियों के निर्धारण में महिलाओं, बच्चों, किशोरों और बुजुर्गो को ध्यान में रखने की तत्काल जरूरत है. प्रोफेसर गुओ ने कहा कि इसके अलावा मध्य आय वर्ग वाले देशों पर खास ध्यान देने की जरूरत है, जहां हीट वार्निग सिस्टम को विश्वसनीय बनाने की अभी भी जरूरत बनी हुई है.

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