Joharlive Team
दुमका। कोरोना महामारी को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन लागू है। एक तरफ सरकार और स्थानीय प्रशासन सोशल डिस्टन्सिंग का पालन करने को कहती है। वहीं दूसरी तरफ दुमका जिले के मसलिया प्रखंड के इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में लॉक डाउन के बीच ईट भट्ठा में कालाबाजारी थमने का नाम नहीं ले रहा है। दिन के उजाले में भी यह काला काम चल रहा है।
यहां दिन भर बाल मजदूर ग्रामीण महिलाएं बिना सोशल डिस्टेंस का अनुपालन करते काम करती हैं। ईंट व्यवसायी इस पूरे लॉक डाउन के दौरान बड़े-बड़े भट्ठों में आग देकर यह काम जारी रखा है। ताजा उदाहरण मसानजोर पंचायत के बड़ा चपुड़िया सड़क किनारे का है। जिसमें गुटीडीह का दो भाई इस काम को अंजाम दे रहा है। पूछने पर बताया कि लकडाउन है, तो क्या हुआ इस तरह ईंट गलते रहने दें।
लाख-लाख ईंट का व्यवसाय करने वाले इस भट्टे में कोयला का खपाना भी एक सवाल खड़ा करता है कि लॉक डाउन लगा महीने भर से ईंट कहां से मिला। ईंट भट्ठे के पास कई क्विंटल कोयला भी पड़ा हुआ है। एक भट्ठा खड़ा कर आग लगा है तो दूसरा फिर से तैयारी पर है। मजदूर मिट्टी गूंथ कर काम जारी रखा है। लाखों-लाख ईटों के भट्ठे बना कर बेचने वालों के पास नहीं तो सरकारी आदेश प्राप्त है और नहीं ही इसकी विज्ञप्ति है। फिर भी यह काम कर ही रहा है। ग्रामीणों की माने तो ये शुरू से कभी लॉकडाउन का अब तक पालन नहीं किया है।
आश्चर्य की बात यह है कि यह दुमका-जामताड़ा मार्ग से सौ मीटर सटा हुआ स्थान पर काम चल रहा है। जहां दर्जनों से अधिक बाल मजदूर व महिलाएं काम कर रही है। पुलिस प्रशासन की गस्ती गाड़ी दिन रात आर-पार होती रहती है। बावजूद डर और ख़ौप नाम मात्र नहीं है।
बताते चले कि कोरोना की समस्या से संताल परगना भी अछूता नहीं है। इस प्रकार भीड़ काम भी जारी रहा तो समस्या और भी भयावह हो सकता है। इस संदर्भ में सीओ, मसलिया महेश्वर महतो से बात करने पर बताया कि इस पर ताकीद की जाएगी।