JoharLive Team

दुमका: राज्य में गर्मी ने दस्तक देना शुरू कर दिया है, लेकिन दुमका के ग्रामीण क्षेत्रों के पेयजल संयंत्रों की स्थिति बदहाल है। नीर निर्मल परियोजना के तहत जिले में पांच साल पूर्व 60 ड्रिंकिंग वाटर प्लांट स्थापित किए गए थे। इस परियोजना पर एक बड़ी सरकारी राशि खर्च हुई थी, लेकिन आज अधिकांश की स्थिति बदहाल है। कुछ प्लांट को छोड़कर लगभग सभी खराब हो चुके हैं।

चार वर्ष पूर्व पेयजल-स्वच्छता विभाग ने नीर निर्मल परियोजना चलाई थी। इसके अलावा दुमका के 60 गांवों में पेयजल संयंत्र लगाकर लोगों के घर-घर तक पानी पहुंचाने का काम शुरू हुआ था। प्रति प्लांट का खर्च 30 से 35 लाख रुपए थी। शुरुआत में ग्रामीणों को पानी मिला भी, लेकिन देखरेख के अभाव में ये खराब हो गए। अब तो अधिकांश संयंत्र खराब हो चुके हैं।

दुमका के अधिकांश ग्रामीण इलाकों में पानी की समस्या है। गर्मी के दिनों में यह और बढ़ जाती है। जिन गांव में ये प्लांट लगे थे, वहां के लोगों को उम्मीद मिली थी कि अब पानी की सुविधा होगी। लेकिन कुछ महीनों में ही यह खराब हो गया, अब फिर से वे चापाकल-कुंआ पर पानी के लिए निर्भर हो गए हैं।
जिन गांव में यह प्लांट लगने के बावजूद उसका फायदा ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है, वहां के ग्रामीणों ने काफी नाराजगी व्यक्त की हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इसके रहने का क्या फायदा हम तो दूसरे जगह से पानी भरते हैं।

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