गढ़वा: जिले के चिनियां प्रखंड स्थित वन क्षेत्र में जंगली हाथियों का आतंक लगातार जारी है. वन क्षेत्र के बेता,रानीचेरी,चिरका और राजबांस गांव में जंगली हाथियों ने उत्पात मचाया है. हाथियों ने लगभग आधा दर्जन लोगों के घर को ध्वस्त कर दिया है. वहीं कई एकड़ में लगी फसल को भी नष्ट किया है. हाथियों के इस आतंक से ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है.
बताया जा रहा है कि चिनिया थाना क्षेत्र के विभिन्न गांवों में जंगली हाथियों ने दर्जनों किसानों के धान, मकई, बादाम सहित सैकड़ो एकड़ में लगे फसल बर्बाद कर दिए. जंगली हाथियों ने चिरका गांव के कई किसानों के फसल एवं घर को बर्बाद किया है. चिरका गांव के टोला कोल्हुवा निवासी ललिता कुंवर,रामजनम राम एवं क्यामुद्दीन अंसारी के खपरैल घर को तोड़ दिया और लगभग 10 एकड़ में लगी धान फसल को रौंदा. वहीं बिलैतीखैर गांव के विजय सिंह,हलखोरी सिंह के ,मुनरिक सिंह नेमा सिंह के, शिवनाथ सिंह के मकई व धान फसल रौंद कर नष्ट कर दिया. बेता गांव के कुम्भियाखाड टोले के चितामन सिंह, हीरामन सिंह, उमाशंकर सिंह, नरेंद्र ,रवि, दीपक, रवि, रमेश राम, कमलेश राम , श्याम सुंदर सिंह एवं पीतांबर सिंह के कई एकड़ में लगी धान के फसल को जंगली हाथियों ने रौंद दिया. वन विभाग ने इस एरिया को रेड अलर्ट घोषित कर रखा है.
ग्रामीणों ने बताया कि जंगली हाथियों की संख्या लगभग चार दर्जन है जो विभिन्न समूह में बंटकर विभिन्न गांव में जाकर किसानों के लगे धान एवं मकई के फसलों को चट कर रहे हैं और बर्बाद कर रहे हैं. बता दें कि पिछले 2 साल से क्षेत्र में जंगली हाथियों के आतंक से किसान काफी परेशान हैं. किसान बहुत मेहनत से खेती करते हैं और हाथी खेत में आकर सभी फसलों को बर्बाद कर देते हैं. इससे किसानों के कमर टूट जा रहे हैं.
उधर वन विभाग जंगली हाथियों को क्षेत्र से भगाने में अभी तक असफल रही है. ग्रामीण लगातार मांग कर रहे हैं कि क्षेत्र से जंगली हाथियों को भगाया जाए अन्यथा अंत में धरना प्रदर्शन होगा. हाथियों के आतंक से क्षेत्र के निवासी काफी दहशत में हैं. जंगली क्षेत्र में लोग शाम होते ही कहीं आने जाने से डर रहे हैं. वहीं जंगल किनारे वाले कई किसान तो अपना खेती करना छोड़ दिए हैं और ग्रामीण क्षेत्र के जंगल क्षेत्र वाले ग्रामीण रात को अपने घर छोड़कर बस्ती में आकर सो रहे हैं तथा रतजगा कर रहे हैं. उधर वन विभाग के वनरक्षी सहित विभिन्न कर्मचारी के हड़ताल होने के कारण जंगली हाथियों पर कोई पहल करने वाला भी नहीं है. किसानों की हुई फसलों के बर्बाद को आकलन करने वाला भी कोई नहीं है जिससे किसान काफी आहत हैं.