Bihar News : बिहार के पूर्णिया जिले में एक फर्जी एनकाउंटर मामले ने 26 साल बाद न्याय का रास्ता पाया है. पूर्व थाना प्रभारी मुखलाल पासवान को सीबीआई की विशेष अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. पासवान, जो हाल ही में डीएसपी के पद पर प्रमोट हुए थे, पर आरोप था कि उन्होंने 1998 में एक हत्या को एनकाउंटर के रूप में प्रस्तुत किया.
पूर्व दारोगा को भी मिली सजा
अदालत ने उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 201, 193 और 182 के तहत दोषी करार दिया और तीन लाख एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. यदि जुर्माना नहीं भरा गया, तो उन्हें डेढ़ साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. इसी मामले में बिहारीगंज थाने के पूर्व दारोगा अरविंद कुमार झा को भी दोषी पाया गया और उन्हें पांच साल की सजा के साथ 50 हजार रुपये का जुर्माना किया गया. जुर्माना न अदा करने पर उन्हें छह महीने की अतिरिक्त सजा का सामना करना होगा.
क्या है मामला
सीबीआई के लोक अभियोजक अमरेश कुमार तिवारी के अनुसार, 1998 में एक अपराधी की तलाश के दौरान पुलिस ने बिहारीगंज थाने के फिद्दी की बस्ती में जगदीश झा के घर पर छापा मारा. इस दौरान संतोष कुमार सिंह की गोली मारकर हत्या की गई, जिसे बाद में एनकाउंटर का रूप देने का प्रयास किया गया.
सीबीआई ने 45 गवाहों के लिये बयान
इस मामले की जांच शुरू में स्थानीय पुलिस ने की, फिर इसे सीआईडी को सौंपा गया, और अंत में सीबीआई ने इसका अनुसंधान किया. सीबीआई ने 45 गवाहों के बयान दर्ज किए, जिससे इस फर्जी एनकाउंटर का पर्दाफाश हुआ.