रांची: झारखंड सरकार शहरों के तरल अपशिष्ट प्रबंधन (लिक्विड वैस्ट मैनेजमेंट) को लेकर संवेदनशील और गंभीर है. यहीं वजह है कि प्रदेश के अधिकांश नगर निकायों में सिवरेज या फिर सेप्टेज की योजनाओं पर तेजी से कार्य चल रहा है. लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट पर आयोजित एक स्टेकहोल्डर्स मीटिंग में राज्य शहरी विकास अभिकरण के निदेशक अमित कुमार ने ये बातें कही. साथ ही बताया कि लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर ड्राफ्ट भी तैयार है. देश के कई प्रतिष्ठित पीएसयू के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में उन्होंने कहा कि हमारी सरकार हर शहरी नागरिक के घर तक पाइपलाइन से शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए कृतसंकल्पित है. इसलिए हम सभी को निःशुल्क वाटर कनेक्शन दे रहे है. हमें प्राकृतिक संसाधनों को सशक्त बनाना है और इसके लिए रीयूज प्रणाली को अपने जीवनशैली में अपनाना पड़ेगा. इसलिए हम उपयोग किए पानी को रीट्रीट करके सेकेंडरी वाटर के रुप में उसका इस्तेमाल करे. साथ ही कहा कि भारी उद्योग में उपयोग होनेवाले फ्रेश वाटर के जगह अधिक से अधिक ट्रीटेड वाटर के इस्तेमाल पर जोर दिया. इससे हम प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करेंगे और इस पानी से मिलने वाले राजस्व से ट्रीटमेंट प्लांट का रख रखाव होगा.

प्रतिनिधियों से मांगी राय

रांची के एक प्रतिष्ठित होटल में राज्य सरकार के नगर विकास एवं आवास विभाग तथा यूनाइटेड स्टेट्स की संस्था यूएसऐड के संयुक्त तत्वावधान में एक स्टेक होल्डर्स मीटिंग हुई. जिसमें विभिन्न स्टेक होल्डर्स के बीच राज्य सरकार की ओर से लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट और इसके रख रखाव, यूजर्स चार्ज पर बनायी गयी एक ड्राफ्ट रेगुलेशन को रखा गया. सभी कंपनियों के प्रतिनिधियों से उनकी राय मांगी गयी. इस मौके पर झारखंड सरकार के राज्य शहरी विकास अभिकरण,मेकॉन,स्टील ऑथोरिटी ऑफ इंडिया, एनटीपीसी, यूएसऐड, जुडको लि., सुवासी, केपीएमजी, विश्व स्वराज सहित विभिन्न संस्थों के विशेषज्ञ शामिल हुए. इनके साथ साथ कई और संस्थानों के प्रोफेसर और विद्वान ऑनलाइन माध्यम से जुड़े और अपनी राय रखी.

बैठक की मुख्य बातें

  • शहरों में सिवरेज और सेप्टेज के माध्यम से ट्रीट किए गए वाटर का उपयोग कहां-कहां किया जाए
  • रिहायसी कॉलोनियों में भी सेकेंडरी यूज के लिए इस जल का उपयोग हो.
  • बड़ी कंपनियों खासकर पावर प्लांट में इसका उपयोग किया जाए.
  • सभी उपयोगकर्ताओं के लिए एक दर तय किया जाए.
  • हर घर से सिवरेज लाइन में कनेक्शन निःशुल्क दिया जाएगा.
  • जहां सेप्टेज की व्यवस्था है वहां भी एक वर्किंग सिस्टम विकसित किया जाए.
  • सिवरेज एव सेप्टेज दोनों मामले में एक दर तय हो.
  • ट्रीटमेंट के बाद भी इसके उपयोग के लिए कॉमर्शियल और आवासीय क्षेत्र में दर निर्धारित किया जाए.
  • औद्योगिक प्लांट्स और बड़ी कॉलोनियों को कुछ इन्सेंटिव मिले.

तीन शहरों में सेप्टेज का काम पूरा

झारखंड के 49 नगर निकायों में हर घर शुद्ध पेयजल पहुंचाना है. जहां सिवरेज सिस्टम विकसित हो रहा है वहां सभी को निःशुल्क कनेक्शन देना है. जिन शहरों में सेप्टेज की व्यवस्था है, वहां जरुरी संसाधन की खरीद कर देना है. झारखंड के गिरिडीह, चिरकुंडा और बुंडू में सेप्टेज प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं. वहीं हजारीबाग और देवघर में भी सेप्टेज का काम जल्द पूरा हो जाएगा. इसके अलावे कई शहरों में सिवरेज व सेप्टेज की योजनाए शुरू हो गई है और कुछ टेंडर प्रक्रिया में है.

ये रहे मौजूद

यूएसऐड से लाइया डोमेनेक, आरके श्रीनिवासन, सुवासी से कुमार साकेत, केपीएमजी से विजय बेहरा, एएससीआई हैदराबाद के प्रोफेसर वी श्रीनिवास चैरी, विश्वराज ग्रुप से अरिंधन तलुकदार, राजस्थान के मुख्य अभियंता अरुण व्यास, एनजेएसइआई के डॉ योगेश गोखले, रुप मुखर्जी, सौरभ काले, जुडको के पीडीटी गोपाल, डीजीएम आलोक मंडल, सूडा, स्मार्ट सिटी और जुडको के अधिकारी.

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