रांची : रिम्स में अस्पताल प्रबंधन और चुनौतियां: एक आधुनिक दृष्टिकोण पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला के मुख्य वक्ता एसजीपीजीआई लखनऊ के अपर चिकित्सा अधीक्षक सह अस्पताल प्रबंधन के विभागाध्यक्ष प्रो डॉ आर हर्षवर्धन थे. डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि ईंटों और गारे से अस्पताल नहीं बनते है बल्कि वहां के चिकित्सक और मिलने वाली सेवाएं जगह को अस्पताल बनाती हैं. डॉक्टरों के लिए ड्रेस कोड एप्रन नहीं बल्कि प्रतिबद्धता, समर्पण और जुनून होना चाहिए. उन्होंने कहा, रिम्स को स्वास्थ्य सेवा के लिए आखिरी उम्मीद के रूप में देखा जाता है. इसलिए लघु, मध्य और दीर्घकालिक योजनाओं के साथ अगले 50-60 वर्षों के लिए रिम्स को एक रोडमैप तैयार करना चाहिए.

जीवन में सभी को सीखते रहना चाहिए

रिम्स निदेशक प्रो डॉ राजकुमार ने कहा कि, जीवन में सभी को सीखते रहना चाहिए. अस्पताल प्रबंधन को प्रशासन तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि उन सीमित सीमाओं से बाहर आना चाहिए. उन्होंने कहा आज के समय में चिकित्सकों को प्रशासन के साथ-साथ कानूनी पहलुओं की भी जानकारी रखनी चाहिए. इग्नू के क्षेत्रीय निदेशक डॉ एस मोहंती ने बताया कि इग्नू में स्वास्थ्य सेवा और अस्पताल प्रबंधन में 2 वर्षीय एमबीए शुरू किया गया है. इस दौरान स्वास्थ्य देखभाल में कानूनी पहलू पर विस्तार में चर्चा हुई. कार्यक्रम में डीन डॉ विद्यापति, चिकित्सा अधीक्षक डॉ हीरेन्द्र बिरुआ, अपर चिकित्सा अधीक्षक सह अस्पताल प्रबंधन में स्नातकोत्तर के नोडल पदाधिकारी डॉ शैलेश त्रिपाठी, अपर निदेशक (प्रशासन) सीमा सिंह, फैकल्टी व छात्र मौजूद थे.

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