रांची। झारखंड एकेडमिक काउंसिल, जैक अध्यक्ष का चयन क्वालिफिकेशन के आधार पर 10 दिसंबर को हुआ। लॉटरी में डॉ. अनिल कुमार महतो का नाम सामने आया। तीन लोग का आवेदन आया था, जिसमें उषा किरण, डॉ. शब्बीर हुसैन और डॉ. अनिल कुमार का नाम आया था। शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो ने नए जैक अध्यक्ष के रूप में डॉ. अनिल कुमार महतो के नाम की घोषणा किया। शिक्षा मंत्री ने कहा कि अध्यक्ष को सभी पावर दिए जाएंगे, जिससे लंबित काम में तेजी आए। परेशानियां दूर हो। शिक्षा मंत्री के अनुसार अधिसूचना शुक्रवार को ही देर शाम जारी कर दिया जाएगा। इनका कार्यकाल 3 साल का होगा।
रांची यूनिवर्सिटी के एग्जामिनेशन कंट्रोलर रह चुके हैं। डॉक्टर अनिल कुमार महतो विनोद बिहारी विश्वविद्यालय कोल्हान के प्रो वीसी भी रह चुके हैं। 125 प्लस 2 कॉलेजों के अप्रूवल। अगले कैबिनेट में सरकार इस को स्वीकृति देने जा रही है. जिला, प्रखंड, पंचायत में मॉडल स्कूल. 80 मॉडल स्कूलों को लेकर स्वीकृति दे दी गई है।
जैक उपाध्यक्ष के रूप में डॉ. विनोद सिंह का चयन हुआ है. उपाध्यक्ष पद के लए एक ही आवेदन आया था. जैक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने से झारखंड शिक्षा बोर्ड में कोई फैसला नहीं हो पा रहा था. अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त रहने की वजह से इंटर कॉलेलों में सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव भी अधर में लटका हुआ था. नए अध्यक्ष के आने से कई परेशानियां दूर हो जाएंगी.
झारखंड में झारखंड एकेडमिक काउंसिल के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद 15 सितंबर 2021 से ही खाली था. 15 सितंबर को काउंसिल के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद सिंह और उपाध्यक्ष फूल सिंह का कार्यकाल समाप्त हो गया था. अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की मंजूरी के बिना जैक की ओर से रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू करने में परेशानी आ रही थी. कर्मचारियों के वेतन भुगतान में भी अड़ंगा आ रहा था.
जैक अध्यक्ष नहीं होने से यह काम हो रहा था प्रभावित
जैक में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के नहीं रहने से मैट्रिक इंटर के अतिरिक्त कई अन्य महत्वपूर्ण परीक्षा नहीं लिया जा सका है. जैक के जिम्मे मैट्रिक, इंटर, आठवीं, 9वीं, 11वीं और मेडिकल-इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए (आकांक्षा )एंट्रेंस, छात्रवृत्ति परीक्षा, झारखंड पात्रता परीक्षा का आयोजन है. इन सभी परीक्षाओं में लगभग 15 लाख स्टूडेंट्स शामिल होते हैं. मैट्रिक-इंटरमीडिएट विशेष परीक्षा, मध्यमा, मदरसा के रिजल्ट निकालने के लिए भी अध्यक्ष की अनुमति की आवश्यकता थी, लेकिन छात्र हित में स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने अनुमति दी, जिसके बाद रिजल्ट का प्रकाशन किया गया.