धर्म : धार्मिक मान्यता के अनुसार अमावस्या तिथि का बड़ा महत्व है. वैदिक पंचांग के अनुसार पौष माह में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं. कई धार्मिक कार्य अमावस्या पर किये जाते हैं. पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन तर्पण व श्राद्ध किया जाता है. वहीं, पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन उपवास रखा जाता है. पौष माह में सूर्यदेव की उपासना का विशेष महत्व है. हिन्दू धर्म ग्रन्थों में पौष मास को बहुत ही पुण्य फलदायी बताया गया है.
धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन-मनन के लिए यह माह श्रेष्ठ होता है. पौष अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं. पौष मास में होने वाले मौसम परिवर्तन के आधार पर आने वाले साल में होने वाली बारिश का अनुमान लगाया जा सकता है. पौष का महीना धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन के लिए श्रेष्ठ माना जाता है.
पौष अमावस्या पर पितरों को तर्पण करने का विशेष महत्व है. अत: इस दिन पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें.
तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए.
पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें.
जिन व्यक्तियों की कुंडली में पितृ दोष और संतान हीन योग उपस्थित है. उन्हें पौष अमावस्या का उपवास कर पितरों का तर्पण अवश्य करना चाहिए.
10 जनवरी 2024 को 20:13:02 से अमावस्या आरम्भ
11 जनवरी 2024 को 17:29:04 पर अमावस्या समाप्त
30 दिसंबर, 2024 के लिए पौष अमावस्या का मुहूर्त
30 दिसंबर 2024 को 04:03:47 से अमावस्या आरम्भ
31 दिसंबर 2024 को 03:58:36 पर अमावस्या समाप्त
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