झारखंड

खूंटी डीएसई का अपने कर्मचारियों से अभद्र व्यवहार, डांट के बाद जिला शिक्षा अधीक्षक की तबीयत बिगड़ी

खूंटीः नक्सल प्रभावित खूंटी जिला में शिक्षा विभाग के डीएसई डॉ. महेंद्र पांडेय के अड़ियल रुख और अभद्र व्यवहार से कर्मचारी आतंकित होने लगे हैं. गुरुवार को जिला शिक्षा विभाग में पदस्थापित डीएसई डॉ. महेंद्र पांडेय की डांट एक कर्मी को भारी पड़ गया. उस डांट के बाद जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय के कर्मी कार्तिक भगत की तबीयत काफी बिगड़ गई.

दफ्तर में डांट के बाद बेहोश हुए कर्मी को कर्मचारियों की ओर से उसे सदर अस्पताल ले जाया गया. जहां प्राथमिक उपचार के साथ लिपिक कार्तिक भगत को रांची ले जाया गया. जिला शिक्षा अधीक्षक के व्यवहार से खफा कार्यालय कर्मियों ने दक्षिण छोटानागपुर प्रमंडल के क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक को पत्र लिखकर इस घटना की जानकारी दी और डीएसई पर विभागीय कार्रवाई करने की मांग की.

डीएसई के आतंक के किस्से शिक्षा विभाग की चहारदीवारी के भीतर ही बंद थी. लेकिन डीएसई की डांट से शिक्षा विभाग के एक कर्मी की तबीयत इतनी ज्यादा बिगड़ा गयी कि उसे अस्पताल पहुंचाना पड़ा. इसके बाद डीएसई के अड़ियल रुख और अभद्रता की पोल परत-दर-परत खुलने लगी है.

इस मामले को लेकर खूंटी जिला शिक्षा विभाग के कर्मियों ने कहा कि डीएसई पर कार्रवाई नहीं होने पर सभी कर्मचारी कलम बंद हड़ताल पर चले जाएंगे. जानकारी के अनुसार लिपिक कार्तिक भगत बुधवार को डीएसई डॉ. महेंद्र पांडेय के कार्यालय कक्ष मे जाकर पेंशन संबंधी किसी फाइल के निपटारे की बात कह रहे थे. जिसको लेकर डीएसई भड़क गए एवं लिपिक को जमकर डांट लगायी, जिससे लिपिक मौके पर बेहोश होकर गिर गया. जिसके बाद कार्यालय कर्मियों ने इलाज के लिए कर्मी को सदर अस्पताल पहुंचाया.

इस मामले को लेकर डीएसई डॉ. महेंद्र पांडेय ने कर्मचारियों के आरोपों को निराधार बताया है. उन्होंने कहा कि लिपिक की तबीयत बिगड़ने में उनका कोई हाथ नहीं है. षड्यंत्र के तहत उन्हें बदनाम करने की साजिश की जाती है. उन्होंने कहा कि अफसर के नाते डांट फटकार लगाना काम है ताकि कार्यालय में काम होता रहे. उन्होंने कहा कि पेंशन संबंधी मामलों की फाइल कर्मी खुद ही दबाकर बैठे हैं और आरोप हमपर लगा रहे, जो सरासर बेबुनियाद है. वहीं उन्होंने कहा कि इससे पूर्व भी अगर मामले पर जब पूछा गया था तो वो नर्वस हो गए.

उन्होंने कहा कि कार्यालय के कर्मियों की लेटलतीफी के कारण कार्यालय का कार्य प्रभावित होता है, बार-बार निर्देश के बावजूद कर्मियों की ओर से कोई भी रिपोर्ट समय पर उपलब्ध नहीं कराया जाता जिसके कारण कई रिपोर्ट समय पर हेड ऑफिस नहीं भेजे जाते हैं.

लेकिन अब डीएसई कार्यालय के कर्मचारी, लिपिक भी डीएसई के नकारात्मक रवैये की खुलकर चर्चा करने लगे हैं. कल तक अपनी नौकरी से हाथ धोने के डर से शिक्षक और कर्मचारी डीएसई के शोषण और अत्याचार के मामलों को आतंक के कारण शिक्षा विभाग की चहारदीवारी से बाहर नहीं निकालते थे. अब जिला के शिक्षक और शिक्षा विभाग के कर्मचारी लिपिक सभी डीएसई के खिलाफ मोर्चा खोलने को तैयार हैं.

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